West Bengal: सीताराम येचुरी लगातार तीसरी बार माकपा के महासचिव बने
West Bengal माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी लगातार तीसरी बार पार्टी के महासचिव के पद के लिए निर्वाचित हुए हैं। रविवार को पार्टी के 23वें कांग्रेस सम्मेलन में इसकी घोषणा की गई। 69 वर्षीय येचुरी 2015 से पार्टी के शीर्ष पद यानी महासचिव पद पर हैं।
By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Sun, 10 Apr 2022 10:02 PM (IST)
कोलकाता, जेएनएन। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी लगातार तीसरी बार पार्टी के महासचिव के पद के लिए निर्वाचित हुए हैं। रविवार को पार्टी के 23वें कांग्रेस सम्मेलन में इसकी घोषणा की गई। 69 वर्षीय येचुरी 2015 से पार्टी के शीर्ष पद यानी महासचिव पद पर हैं। उसके पहले प्रकाश करात ने 2005 से 2015 तक पार्टी के महासचिव पद की जिम्मेदारी संभाली थीं। 23वीं पार्टी कांग्रेस के दौरान येचुरी को 17 सदस्यीय पोलित ब्यूरो और 85 सदस्यीय केंद्रीय समिति ने महासचिव के रूप में फिर से चुना। येचुरी को पहली बार अप्रैल, 2015 में विशाखापत्तनम में 21वीं पार्टी कांग्रेस के दौरान पार्टी महासचिव के रूप में चुना गया था। इसके बाद उन्हें 18 अप्रैल, 2018 को हैदराबाद में हुई 22वीं पार्टी कांग्रेस में इस पद के लिए फिर से चुना गया था।
जानें, किसे क्या जिम्मेदारी मिलीइधर, एलडीएफ के संयोजक और केरल माकपा के पूर्व कार्यवाहक सचिव ए. विजयराघवन को केरल से पोलित ब्यूरो का नया सदस्य बनाया गया है। अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक दावले और दलित नेता रामचंद्र डोम भी पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय पोलित ब्यूरो में दो नए सदस्य बनाए गए हैं। पश्चिम बंगाल से आने वाले व पूर्व लोकसभा सांसद रामचंद्र डोम पोलित ब्यूरो में शामिल होने वाले पहले दलित नेता बन गए हैं, जो माकपा की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है।
फारवर्ड ब्लाक के झंडे से हटेगा हंसुआ-हथौड़े का निशान फारवर्ड ब्लाक अपने झंडे से हंसुआ-हथौड़े का निशाना हटाने जा रही है। भुवनेश्वर में संपन्न हुई पार्टी के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। फारवर्ड ब्लाक के राज्य सचिव नरेन चट्टोपाध्याय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अब पार्टी के झंडे में सिर्फ बाघ की छलांग लगाती तस्वीर होगी। बैकग्राउंड पहले की तरह लाल रंग का ही होगा। गौरतलब है कि 60 साल बाद दशकों से फारवर्ड ब्लाक के झंडे से हंसुआ-हथौड़े के निशान को हटाया जा रहा है। पार्टी के एक नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि यह महान स्वतंत्रता सेनानी व फारवर्ड ब्लाक के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के राष्ट्रवाद के सिद्धांत की ओर लौटने की कवायद है। 1962 में बंगाल के चंदननगर में हुए फारवर्ड ब्लाक के राज्य सम्मेलन में पार्टी के झंडे में हंसुआ-हथौड़े के निशान को शामिल कर 'साइंटिफिक सोशलिज्म' की तरफ कदम बढ़ाया गया था।
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