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West Bengal Panchayat Election: बहता रहा रक्त, फिर भी आयोग नहीं हुआ सख्त; हिंसा को लेकर कटघरे में चुनाव आयुक्त

बंगाल में पंचायत चुनाव में अब तक 14 लोगों की मौत हो गई है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई के वक्त कहा था तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। लेकिन बंगाल में चुनावों में कुछ और ही नारा चलता है- खून बहाकर सत्ता हासिल कर लो। यहां दशकों से यही होता आया है। फाइल फोटो।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 08 Jul 2023 07:25 PM (IST)
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बंगाल में बहता रहा रक्त, फिर भी आयोग नहीं हुआ सख्त। फाइल फोटो।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई के वक्त कहा था 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।' लेकिन बंगाल में चुनावों में कुछ और ही नारा चलता है- 'खून बहाकर सत्ता हासिल कर लो।' यहां दशकों से यही होता आया है, फिर चाहे लोकसभा व विधानसभा चुनाव हो अथवा नगर निकाय व पंचायत चुनाव। हिंसा का दौर बदस्तूर है। फिर भला मौजूदा पंचायत चुनाव इससे अछूता कैसे रह सकता था?

चुनावी हिंसा को लेकर कटघरे में चुनाव आयुक्त

पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से मतदान से एक दिन पहले तक हिंसा में 20 लोगों की जानें चली गईं और मतदान के दिन 14 और काल के गाल में समा गए। आखिर इतनी मौतों का जिम्मेदार कौन है? यह कहना तो तनिक भी गलत नहीं होगा कि राज्य चुनाव आयोग निष्पक्ष, निर्बाध व शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव कराने में पूरी तरह विफल साबित हुआ है। पंचायत चुनाव के खूनी इतिहास को देखते हुए जो व्यवस्था की जानी चाहिए थी, उतनी नहीं की गई। विरोधी दलों का आरोप है कि इससे जान-बूझकर मुंह मोड़ा गया। राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा कटघरे में हैं। उनकी भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

पिछले पंचायत चुनाव से नहीं ली गई कोई सीख

2018 के पंचायत चुनाव में 30 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से 12 की जानें मतदान वाले दिन गई थीं। आयोग ने उससे कोई सीख नहीं ली। पंचायत चुनाव कराने के केंद्रीय बलों की बेहद जरुरत है, यह बात साधारण सी समझ रखने वालों को समझ आ रही थी, लेकिन बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव रह चुके राजीव सिन्हा को शुरू में इसकी जरुरत ही महसूस नहीं हुई। विरोधी दलों की बदौलत मामला कलकत्ता हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अदालत ने केंद्रीय बलों की तैनाती में पंचायत चुनाव कराने का आदेश दिया।

822 कंपनियों के बदले 600 कंपनियां क्यों?

केंद्रीय बलों की 822 कंपनियों के बंगाल आने की बात थी लेकिन 600 के आसपास ही पहुंची, उनमें से ज्यादातर आखिरी समय में पहुंची। विरोधी दल इसके लिए भी आयोग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्रीय बल भेजने के लिए आयोग ने न तो केंद्र से विशेष आग्रह किया और न ही कोई समन्वय बनाया। ऐसा लग रहा था, मानों आयोग को केंद्रीय बल चाहिए ही नहीं थे। इसी तरह केंद्रीय बलों की तैनाती के मामले में भी काफी ढिलाई की गई।

चुनाव आयोग ने नहीं किया अपनी भूमिका का पालन

बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि जिन बूथों पर केंद्रीय बलों की जरुरत थी, वहां उनकी तैनाती ही नहीं की गई। केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए समन्वयक नियुक्त किए गए बीएसएफ के आइजी ने भी कहा कि आयोग ने पेशेवर तरीके से अपनी भूमिका का पालन नहीं किया।

ममता काल में राज्य में आराजकता की स्थिति- अमित मालवीय

वहीं, बंगाल भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि बंगाल में युद्ध जैसी स्थिति यह दर्शा रही है कि ममता बनर्जी के शासन में अराजकता की स्थिति क्या है। वहीं, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए ममता बनर्जी व उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस किसी भी स्तर तक गिरने के लिए तैयार रहती है।

सुवेंदु अधिकारी ने राजीव सिन्हा को किया फोन

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार जनाधार खो चुकी है इसलिए वह हिंसा का सहारा ले रही है। वहीं भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने तो सीधे राजीव सिन्हा को फोन करके पूछा कि और कितना रक्त चाहिए?

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