'नई राष्ट्रीय सहकारी नीति लगभग तैयार', सुरेश प्रभु बोले- दस्तावेज सरकार को सौंपने की चल रही प्रक्रिया
नई राष्ट्रीय सहकारी नीति लगभग तैयार हो चुकी है और 47 सदस्यीय समिति केंद्र सरकार को मसौदा (दस्तावेज) सौंपने की प्रक्रिया में है। समिति के चेयरमैन और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम अब नीति जारी करने और इसके लागू होने की उम्मीद कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि नई सहकारिता नीति में भारत के सामाजिक-आर्थिक आयाम को बदलने की क्षमता है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। नई राष्ट्रीय सहकारी नीति लगभग तैयार हो चुकी है और 47 सदस्यीय समिति केंद्र सरकार को मसौदा (दस्तावेज) सौंपने की प्रक्रिया में है। समिति के चेयरमैन और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने शनिवार को इसकी जानकारी दी।
अमित शाह ने पिछले साल की थी इसकी घोषणा
केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछले साल घोषणा की थी कि देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए जल्द ही एक समर्पित नीति तैयार की जाएगी और सुरेश प्रभु इस राष्ट्रीय स्तर की समिति का नेतृत्व करेंगे। समिति के सदस्यों में सहकारिता क्षेत्र के विशेषज्ञ और प्रतिनिधि के साथ केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारी शामिल हैं।
सरकार को सौंपने की चल रही है प्रक्रिया
सुरेश प्रभु ने कोलकाता में मर्चेंट्स चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम से इतर कहा कि पालिसी दस्तावेज लगभग तैयार है और इसे सरकार को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि हम अब नीति जारी करने और इसके लागू होने की उम्मीद कर सकते हैं।
नई सहकारिता नीति पर क्या बोले सुरेश प्रभु
पूर्व रेल एवं वाणिज्य व उद्योग मंत्री प्रभु ने कहा कि नई सहकारिता नीति में भारत के सामाजिक-आर्थिक आयाम को बदलने की क्षमता है, जिससे कुल जीडीपी में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी में काफी वृद्धि होगी। प्रभु ने कहा कि इस नीति के पीछे का विचार कानूनी और संस्थागत ढांचे द्वारा समर्थित सहकारी-आधारित आर्थिक विकास माडल को बढ़ावा देना है। प्रभु ने कहा
मैं लंबे समय से सभी प्रकार की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहकारी समितियों से जुड़ा हुआ हूं और उनकी क्षमता को जानता हूं। कोई भी आर्थिक गतिविधि लोगों के जीवन में मूल्य बढ़ाएगी, लेकिन सहकारी समितियां धन बनाने के साथ-साथ आय का दायरा फैलाने और उसके वितरण में भी मदद करती है।
भारत में लगभग 8.5 लाख हैं सहकारी समितियां
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि सरकार अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के बारे में सोच रही है। इससे पहले सहकारी समितियों पर मौजूदा राष्ट्रीय नीति 2002 में बनाई गई थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 8.5 लाख सहकारी समितियां हैं, जिनके सदस्यों की संख्या लगभग 29 करोड़ है। ये सहकारी समितियां कृषि प्रसंस्करण, डेयरी, मत्स्य पालन, आवास, बुनाई, ऋण और विपणन जैसी विभिन्न गतिविधियों में लगी हुई हैं।
प्रभु ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी भंडारण बनाने का भी फैसला किया है। मुझे लगता है कि सहकारी समितियों को और ज्यादा बढ़ावा देने के लिए यह एक अद्भुत विचार है। देश भर में लाखों वर्ग मीटर वेयरहाउसिंग विकसित की जा रही है।