Kolkata: आपातकाल के बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का सबसे बड़ा स्थानांतरण, अपने विदाई समारोह में बोले न्यायमूर्ति चौधरी
Justice Choudhary न्यायमूर्ति चौधरी ने सोमवार को अपने विदाई समारोह में कहा कि 1975 में आपातकाल के दौरान कार्यपालिका ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के कम से कम 16 न्यायाधीशों का स्थानांतरण किया था और अब 48 वर्षों के बाद कालेजियम ने 24 न्यायाधीशों का स्थानांतरण किया है। इस कार्यक्रम में बार के सदस्य और कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मौजूद थे।
By Babli KumariEdited By: Babli KumariUpdated: Tue, 21 Nov 2023 06:46 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय से पटना उच्च न्यायालय स्थानांतरित किए गए न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी ने कहा कि उनका तबादला शक्ति के कार्यपालिका से न्यायपालिका के हाथों में स्थानांतरित होने संकेत देता है। न्यायमूर्ति चौधरी ने सोमवार को अपने विदाई समारोह में कहा कि 1975 में आपातकाल के दौरान कार्यपालिका ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के कम से कम 16 न्यायाधीशों का स्थानांतरण किया था और अब 48 वर्षों के बाद कालेजियम ने 24 न्यायाधीशों का स्थानांतरण किया है। इस कार्यक्रम में बार के सदस्य और कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मौजूद थे।
न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि लिहाजा वह शक्ति के कार्यपालिका के हाथों से न्यायपालिका के सर्वोच्च संस्थान को स्थानांतरण के शुरुआती लोगों में शुमार हैं। उन्होंने कहा कि 28 जनवरी 1983 को केंद्र ने फैसला किया था कि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश राच्य के बाहर से होंगे और उच्च न्यायालय के एक तिहाई न्यायाधीश राच्य के बाहर से होने चाहिए।
हमारा स्थानांतरण नीति के आरंभ और कार्यान्वयन की शुरुआत है
न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि मुझे लगता है कि हमारा स्थानांतरण उस नीति के आरंभ और कार्यान्वयन की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि उन्हें पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करना उच्चतम न्यायालय कालेजियम की इच्छा थी। उन्होंने कहा कि जब उन्हें उच्चतर न्यायपालिका में पदोन्नति दी गई थी तो वह जानते थे कि संविधान के अनुच्छेद 222 के तहत एक न्यायाधीश का तबादला किया जा सकता है।6,000 मुख्य मामलों का किया निपटारा
उच्चतम न्यायालय कालेजियम ने तीन अगस्त को न्यायमूर्ति चौधरी को पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव पर पुनर्विचार के लिए न्यायमूर्ति चौधरी के अनुरोध को कालेजियम ने अस्वीकार कर दिया और 10 अगस्त को उनके स्थानांतरण की फिर से सिफारिश की थी। पटना उच्च न्यायालय में उनके स्थानांतरण की गजट अधिसूचना 13 नवंबर को की गई थी। न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने करीब 6,000 मुख्य मामलों और इतनी ही संख्या में आवेदनों का निपटारा किया।
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