भारतीय नौसेना में शामिल हुआ दूसरा सबसे बड़ा स्वदेशी सर्वे पोत, 3400 टन है वजन; समुद्र में सेना के लिए क्या होगा इसका महत्व?
कोलकाता स्थित रक्षा पीएसयू गार्डनरीच शिपबिर्ल्ड एंड इंजीनियर्स लिमिटेड ने मंगलवार को नौसेना को दूसरा सबसे बड़ा स्वदेशी सर्वेक्षण पोत आइएनएस निर्देशक सौंप दिया।10 माह के अंतराल में नौसेना को सौंपा गया यह दूसरा बड़ा सर्वेक्षण पोत है। जीआरएसई ने एक बयान में इसकी जानकारी दी। आत्मनिर्भरता के साथ भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ेगी। पोत सन्धायक की डिलीवरी के 10 माह बाद ही दूसरा पोत नौसेना को मिल गया है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता : कोलकाता स्थित रक्षा पीएसयू गार्डनरीच शिपबिर्ल्ड एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड ने मंगलवार को नौसेना को दूसरा सबसे बड़ा स्वदेशी सर्वेक्षण पोत आइएनएस निर्देशक सौंप दिया। 10 माह के अंतराल में नौसेना को सौंपा गया यह दूसरा बड़ा सर्वेक्षण पोत है। जीआरएसई ने एक बयान में इसकी जानकारी दी।
इससे पहले जीआरएसई द्वारा निर्मित इस श्रृंखला के सर्वेक्षण पोत आइएनएस सन्धायक को नौसेना को सौंपा गया था। नौसेना ने सन्धायक को तीन फरवरी, 2024 को नौसेना में शामिल किया गया था। बयान में बताया गया कि पहले पोत सन्धायक की डिलीवरी के करीब 10 माह बाद ही दूसरा पोत भी नौसेना को मिल गया है। इससे आत्मनिर्भरता के साथ भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ेगी।
कोलकाता में किया गया स्वदेशी सर्वे पोत का निर्माण
इन दोनों स्वदेशी सर्वे पोत का निर्माण जीआरएसई यार्ड, कोलकाता में किया गया है। आइएनएस निर्देशक को 26 मई, 2022 को लांच किया गया था। जीआरएसई के निदेशक (वित्त) आरके दास और पोत के कमांडिंग आफिसर कैप्टन अजय चौहान के बीच डिलीवरी और स्वीकृति के प्रोटोकाल पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर रियर एडमिरल रवनीश सेठ, सीएसओ (टेक), पूर्वी नौसेना कमान और जीआरएसई व नौसेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
3400 टन वजनी है 110 मीटर लंबा
अधिकारियों ने बताया कि यह सर्वे पोत समुद्री आंकड़ों के विश्लेषण के अलावा कई प्रकार के नौसैनिक अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है। इसका मुख्य काम बंदरगाहों, जहाजों के रास्तों, तटीय इलाकों और गहरे समुद्रों का सर्वेक्षण करना है। आइएनएस निर्देशक अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है। 3400 टन वजनी यह पोत 110 मीटर लंबा है। यह पोत समुद्र में कई परीक्षणों से गुजर चुका है।