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भाजपा के प्रशिक्षण शिविर में नदारद बंगाल से तीन केंद्रीय मंत्री, राज्य नेतृत्व ने मांगा स्पष्टीकरण

कोलकाता में चल रहे भाजपा के प्रशिक्षण शिविर के पहले दिन अनुपस्थित रहे बंगाल से तीन केंद्रीय राज्य मंत्रियों शांतनु ठाकुर निशिथ प्रमाणिक व जान बारला से पार्टी के राज्य नेतृत्व ने स्पष्टीकरण मांगा है। उनके अलावा भाजपा सांसद राजू बिष्ट व एसएस अहलूवालिया भी पहले दिन अनुपस्थित रहे।

By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Tue, 30 Aug 2022 07:19 PM (IST)
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महानगर में सोमवार से शुरू हुआ भाजपा का प्रशिक्षण शिविर। सांकेतिक तस्‍वीर।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। महानगर में सोमवार से शुरू हुए भाजपा के प्रशिक्षण शिविर के पहले दिन अनुपस्थित रहे बंगाल से तीन केंद्रीय राज्य मंत्रियों शांतनु ठाकुर, निशिथ प्रमाणिक व जान बारला से पार्टी के राज्य नेतृत्व ने स्पष्टीकरण मांगा है। उनके अलावा भाजपा सांसद राजू बिष्ट व एसएस अहलूवालिया भी पहले दिन अनुपस्थित रहे। उनसे भी इसकी वजह बताने को कहा गया है। जान बारला व निशिथ प्रमाणिक उत्तर बंगाल से ताल्लुक रखते हैं जबकि शांतनु ठाकुर राज्य में वास करने वाले मतुआ समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रशिक्षण शिविर में बंगाल में पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं व जन प्रतिनिधियों को उपस्थित रहने को कहा गया था।

सूत्रों ने बताया कि तीनों केंद्रीय मंत्री भाजपा के राज्य नेतृत्व से खुश नहीं हैं। शांतनु ठाकुर तो कई बार खुले तौर पर अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं। वहीं सांसद एसएस अहलूवालिया भी बंगाल की राजनीति में इस समय ज्यादा सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं। दूसरी तरफ प्रशिक्षण शिविर में आमंत्रित नहीं किए जाने को लेकर बंगाल भाजपा का एक वर्ग नाराज है। भाजपा की राज्य कमेटी के कई वरिष्ठ सदस्यों को प्रशिक्षण शिविर में आमंत्रित नहीं किया गया है। उनका आरोप है कि राज्य नेतृत्व ने अपनी पसंद के लोगों को चुन-चुनकर बुलाया है।

बंगाल में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस भी प्रशिक्षण शिविर पर निशाना साध रही है। मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को पार्टी के छात्र संगठन की जनसभा में प्रशिक्षण शिविर की फंडिंग पर सवाल उठाते हुए कहा था कि भाजपा करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इसके लिए इतने रुपये कहां से आ रहे हैं? ममता के बयान पर पलटवार करते हुए बंगाल भाजपा के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा था कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं पर रुपये खर्च करती है। इसमें निश्चित रूप से इसे लेकर चर्चा नहीं होगी कि कोयला व मवेशी तस्करी का गोरखधंधा कैसे चलाया जाए।

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