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बॉर्डर सुरक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बीएसएफ कमांडेंट डॉ सुब्रत व उनकी बटालियन का स्थानांतरण

बॉर्डर की सुरक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बीएसएफ कमांडेंट डॉ सुब्रत व उनकी बटालियन का कार्यकाल पूरा होने पर बंगाल से स्थानांतरण तैनाती के बाद 39वीं बटालियन के इलाके में पिछले लगभग छह वर्षों से तस्करी का कोई मामला सामने नहीं आया

By Priti JhaEdited By: Updated: Sun, 27 Jun 2021 09:53 AM (IST)
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बॉर्डर की सुरक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बीएसएफ कमांडेंट डॉ सुब्रत व उनकी बटालियन

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के सीमावर्ती मुर्शिदाबाद जिले में तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) की 39वीं बटालियन का स्थानांतरण हो गया है। अब इसकी जगह बीएसएफ़ की 86वीं बटालियन ने लिया है जो कि जवाहर नगर अम्बासा, जिला आहलाई, त्रिपुरा में तैनात थी। 39वीं बटालियन का नारा 'इरादे मजलिस हम उनतालिस' है, जिस पर वो बिल्कुल खड़े उतरे। मुर्शिदाबाद में 39वीं बटालियन के इलाके में पिछले लगभग छह वर्षों से तस्करी का कोई मामला सामने नहीं आया, इसकी वजह है बीएसएफ के बहादुर कमांडिंग ऑफिसर (कमांडेंट) डॉ सुब्रत कुमार साह और उनके बहादुर व जांबाज जवान।

दक्षिण बंगाल फ्रंटियर बीएसएफ के प्रवक्ता ने कहा कि कमांडेंट डॉ साह के नेतृत्व में इस बटालियन ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया। बांग्लादेश की सीमा से लगा बंगाल का यह जिला मवेशियों, फेंसिडिल, जाली नोटों व अन्य प्रतिबंधित सामानों की तस्करी के लिए कुख्यात था। इस इलाके में गंगा नदी बहती है जो कुछ दूरी तक भारत- बांग्लादेश के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा भी बनाती है। जिसका फायदा उठाकर तस्कर मवेशियों की तस्करी को अंजाम देते थे।

ड्यूटी करने के लिहाज से ये इलाका बहुत दुर्गम है। आसपास घना जंगल जो तस्करों को छुपने व उनको पैठ बनाने में बहुत मददगार साबित होता है। यह तस्करी का गढ़ माना जाता था। इस इलाके में तस्कर अपना पूरा नेटवर्क बनाए हुए थे। तस्करों का नेटवर्क इतना मजबूत था जिसे तोड़ पाना मुश्किल साबित हो रहा था। लेकिन 39वीं बटालियन के आने के बाद तस्करों का साम्राज्य बिल्कुल खत्म हो गया। इस बटालियन ने यहां तस्करी को शून्य कर दिखाया है।

सितंबर 2015 में हुई थी तैनाती

सितंबर 2015 में 39वीं बटालियन की यहां तैनाती के बाद कमांडेंट डॉ साह व उनके बहादुर जवानों ने तस्करी के खिलाफ एक जंग छेड़ दी थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि तस्करों ने तस्करी छोड़ खेती बाड़ी करने लगे।

अभूतपूर्व परिवर्तन की मिसाल हैं कमांडेंट डॉ सुब्रत कुमार साह

39वीं बटालियन मुर्शिदाबाद जिले के इस इलाके में 5 वर्ष 8 महीने अपनी उत्कृष्ट सेवा देकर गई है, ये किसी भी लिहाज़ से एक बड़ा समय होता है। खासकर साउथ बंगाल फ्रंटियर में माना जाता रहा है कि बीएसएफ की सभी बटालियन के लिए इस फ्रंटियर के बॉर्डर की रखवाली एक चुनौती भरा रहता है जहां एक बटालियन मुश्किल से तीन वर्ष तक ही रह पाती है, लेकिन 39वीं बटालियन का इतने लंबे समय तक टिके रहना कमांडिंग ऑफिसर की ईमानदार व लगनशीलता को दर्शाता है। डॉ साह बहुत ही सभ्य और सुशील नेतृत्व वाले ऑफिसर में से एक हैं। कुछ अधिकारियों का तो यहां तक भी मानना है कि डॉ साह बटालियन के जवानों को अपने बच्चों की तरह मानते थे। एक अलग और अनूठे व्यक्तित्व वाले डॉ साह के नेत्रत्व में इस बटालियन के आते ही इस इलाके में अभूतपूर्व परिवर्तन आया और इस क्षेत्र का भविष्य उज्ज्वल हुआ है। मुर्शिदाबाद के इस क्षेत्र में जहां यह बटालियन तैनात हुई थी अब हर प्रकार की तस्करी व गैरकानूनी गतिविधियों पर पूरी तरह अंकुश लग गया है।

बंगाल की माटी के ही सपूत हैं साह, स्थानीय लोगों से बहुत शानदार समन्वय किया स्थापित

कमांडेंट डॉ साह बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बारासात के ही निवासी हैं। इनकी पढ़ाई-लिखाई कोलकाता से ही हुई।बंगाली होने के नाते इन्होंने बार्डर पर स्थानीय लोगों से बहुत शानदार समन्वय स्थापित किया।साह अक्सर स्थानीय युवाओं को अच्छी पढ़ाई लिखाई करने, नौकरी प्राप्त करने तथा अच्छे कार्यों को करने के प्रति जागरूक तथा प्रेरणा देते रहते थे, जिसके कारण वो बॉर्डर पर स्थानीय लोगों में बहुत लोकप्रिय थे।इसका इनको कारगर और प्रभावी सीमा प्रबंधन करने में बहुत मदद मिली।

मानवाधिकार उल्लंघन का एक भी मामला नहीं आया सामने

बीएसएफ का मानना है कि डयूटी की प्रकृति के अनुसार अक्सर साउथ बंगाल फ्रंटियर जैसे जगहों पर ड्यूटी को अंजाम देना इतना आसान नही होता, जहां जबरन भारी तादात में तस्करी के प्रयास किए जाते है। मानवाधिकार आयोग भी इधर बहुत ही सतर्क रहता है। ऐसे जगह पर इस बटालियन के खिलाफ कोई भी मानवाधिकार उल्लंघन का मामला भी सामने नही आया।

39 बटालियन ने अपने कार्यकाल में 98 लाख का सामान किया जब्त तथा 44 तस्कर भी पकड़े

आंकड़े बताते हैं कि इस इलाके में बटालियन की तैनाती से अब तक कुल 215 मवेशियों सहित 54,662 फेंसेडिल की बोतल व 666 किलो गांजा जब्त किया गया। इसके अलावा लगभग 98 लाख के अन्य प्रतिबंधित सामान भी पकड़े गए है। इस इलाके से 44 तस्करों को भी पकड़ा गया।

कोरोना काल में स्थनीय लोगों की मदद भी की

कोरोना महामारी में सीमावर्ती इलाके के लोगो पर भी काफी प्रभाव पड़ा।सैकड़ो लोगों का जहां रोजी रोजगार छूट गया, ऐसे में कमांडेंट साह ने न सिर्फ मेडिकल सुविधा मुहैया कराई अपितु सीमावर्ती इलाके में गरीबों के लिए राशन भी मुहैया कराया। अपनी बटालियन के अधिकारियो तथा जवानों के जरिये सीमावर्ती इलाके में कोरोना से लड़ने के लिए जागरूक अभियान भी चलाया।

दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ईमानदार और पेशेवर अधिकारियो की नियुक्ति दे रहा जोर

दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने 39 बटालियन की जगह लेने वाली 86 बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर के पदभार ग्रहण करने पर सुरेंद्र कुमार को शुभकामनाएं दी है और बयान में बताया कि मुख्यालय हमेशा अपने इलाके की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए पेशेवर एवं जांबाज़ अधिकारियो की नियुक्ति उनके सेवाकाल में उत्कृष्ट उपलब्धियों को ध्यान में रखकर कर रहा है। जांबाज़ अधिकारी डाॅ सुब्रत उनमें से ही एक थे जिन्होंने अपनी सूझबूझ और अनूठे व्यक्तित्व की वजह से सीमा सुरक्षा बल का नाम रोशन किया है।