Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

आदिवासी महिलाओं को जबरन 'दंडवत यात्रा' कराने के मामले में दो गिरफ्तार

दूसरी तरफ राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इस घटना पर राज्य पुलिस से रिपोर्ट मांगी है। आयोग की ओर से राज्य पुलिस के महानिदेशक मनोज मालवीय को पत्र लिखकर तीन दिनों के अंदर घटना की पूरी जानकारी देने को कहा गया है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Thu, 13 Apr 2023 06:48 PM (IST)
Hero Image
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने बालुरघाट की घटना पर राज्य पुलिस से मांगी रिपोर्ट।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालुरघाट इलाके में चार आदिवासी महिलाओं को तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा जबरन 'दंडवत यात्रा' कराने के मामले में पुलिस ने गुरुवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके नाम आनंद राय एवं विश्वनाथ दास हैं।

तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया

दोनों को बालुरघाट जिला अदालत में पेश करने पर तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। हालांकि भाजपा का कहना है कि मुख्य दोषी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजुमदार ने दावा किया कि असली दोषियों को बचाने के लिए ही ये गिरफ्तारियां हुई हैं। इसपर पलट जवाब देते हुए तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि जिस पार्टी के विपक्ष के नेता का नाम सीबीआइ की एफआइआर में दर्ज है, उसे ऐसी बातें कहने का नैतिक अधिकार नहीं है।

मामले की जांच की मांग

दूसरी तरफ राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इस घटना पर राज्य पुलिस से रिपोर्ट मांगी है। आयोग की ओर से राज्य पुलिस के महानिदेशक मनोज मालवीय को पत्र लिखकर तीन दिनों के अंदर घटना की पूरी जानकारी देने को कहा गया है। गौरतलब है कि सुकांत मजुमदार ने इसे लेकर आयोग को पत्र लिखा था और मामले की जांच की मांग की थी।

स्थानीय पार्टी नेतृत्व का काफी दबाव

भाजपा ने घटना में जिला महिला तृणमूल की अध्यक्ष प्रदीप्ता चक्रवर्ती की गिरफ्तारी की मांग की है। तृणमूल प्रदीप्ता के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे पहले ही पद से हटा चुकी है। गौरतलब है कि 200 आदिवासी महिलाओं के अपने परिवार के साथ भाजपा में शामिल होने पर स्थानीय तृणमूल नेताओं ने उनमें से चार को एक किलोमीटर तक जबरन दंडवत यात्रा कराई थी। इस बीच पीड़िताओं में से एक के पति, जो स्थानीय तृणमूल नेता हैं, ने स्वीकार किया कि इस घटना को लेकर उनपर स्थानीय पार्टी नेतृत्व का काफी दबाव था।