Vijay Diwas: विजय दिवस के 52वीं वर्षगांठ पर आयोजित हुआ कार्यक्रम, मुक्तिजोद्धा और शहीदों को दी श्रद्धांजलि
1971के युद्ध में पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा था। 9300 पाकिस्तानी सेना के जवानों ने भारतीय सेना के सामने अपने हथियार डाल दिए थे। इस लड़ाई के बाद पाकिस्तान के दो हिस्से हो गए और एक नया देश बांग्लादेश अस्तिस्व में आया। 1971 की ऐतिहासिक जीत भारत और बांग्लादेश की रक्त लिखित मैत्री का प्रतीक है और विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जागरण डेस्क, कोलकाता। विजय दिवस के अवसर पर भारतीय सेना की पूर्वी कमान (Eastern Command) ने आज कोलकाता के फोर्ट विलियम में स्थित विजय स्मारक पर 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया है।
वीरता पुरस्कार विजेताओं को किया गया आमंत्रित
समारोह के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही मेजर चांदनी मिश्रा ने बताया की समारोह के बाद बांग्लादेश से आये मुक्ति जोद्धा और भारतीय सेना के अधिकारियों और 1971 युद्ध के वीरता पुरस्कार विजेताओं को राज भवन में राज्यपाल, डॉ सी वी अनंदा बोस ने आमंत्रित किया है। इसके पश्चात सभी अतिथि कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में, भारत सरकार के संस्कृति मंतालय द्वारा आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में भी सम्मिलित होंगे।
52वीं वर्षगांठ का मनाया जा रहा जश्न
यह समारोह विजय दिवस की 52वीं वर्षगांठ के जश्न के 4-दिवसीय कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका आयोजन पूर्वी कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता के नेतृत्व में किया जा रहा है।
विजय दिवस के अवसर पर भारतीय सेना की पूर्वी कमान (Eastern Command) ने आज एक विशेष कार्यक्रम में कोलकाता के फोर्ट विलियम में स्तिथ विजय स्मारक पर 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। #VijayDiwas2023 pic.twitter.com/rizgmA44ZF
इस आयोजन में पूर्वी कमान के सभी रैंक के अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है। वहीं, कार्यक्रम में परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र जैसे भारतीय सेना वीरता पुरस्कारों के विजेताओं के अलावा वरिष्ठ अधिकारियों, शीर्ष सैन्य अधिकारियों और मुक्ति बाहिनी और बांग्लादेश फौज के 'बीर प्रोतिक' जैसे वीरता पुरुस्कार विजेताओं को भी आमंत्रित किया गया है।
1971 युद्ध की जीत का महत्व
1971के युद्ध में पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा था। 93000 पाकिस्तानी सेना के जवानों ने भारतीय सेना के सामने अपने हथियार डाल दिए थे। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण माना जाता है। इस लड़ाई के बाद पाकिस्तान के दो हिस्से हो गए और एक नया देश बांग्लादेश अस्तिस्व में आया।
मुक्ति जोद्धाओं का योगदान
इस युद्ध में मुक्ति बाहिनी ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिला कर महत्वपूर्ण योगदान दिया था, इसीलिए भारत मुक्ति जोद्धाओं और भारतीय सेना के वीरों को हर साल विजय दिवस पर सम्मानित कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। 1971 की ऐतिहासिक जीत भारत और बांग्लादेश की रक्त लिखित मैत्री का प्रतीक है और विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह भी पढ़ें: आज राष्ट्रपति भवन आएंगे ओमान के सुल्तान, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी करेंगे स्वागत