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Violence in Bengal: हिंसा पर राज्य के कदमों की कलकत्ता हाई कोर्ट ने की सराहना, एसआइटी गठन की मांग खारिज

बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से राज्य में हो रही हिंसा के खिलाफ ममता सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की कलकत्ता हाई कोर्ट ने सराहना की है। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा राज्य में हिंसा को लेकर SIT गठन की मांग को खारिज कर दिया है।

By Vijay KumarEdited By: Updated: Mon, 10 May 2021 06:29 PM (IST)
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ममता सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की कलकत्ता हाई कोर्ट ने सराहना की

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से राज्य में हो रही हिंसा के खिलाफ ममता सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की कलकत्ता हाई कोर्ट ने सराहना की है। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा राज्य में हिंसा को लेकर एक पूर्व आइपीएस के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआइठी) गठन करने की मांग को खारिज कर दिया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने सोमवार को चुनाव के बाद राज्य में हो रही है हिंसा पर दायर मामले का सुनवाई की।

पिछली सुनवाई के दौरान ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से हिंसा को लेेकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। सोमवार को राज्य की ओर से रिपोर्ट सौंपी गई। बता दें कि चुनाव बाद हो रही है हिंसा पर केंद्र सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने चिंता जताई है। गृह मंत्रालय की टीम हिंसा प्रभावित इलाकों का लगातार दौरा कर रही है।

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने कहा कि सात मई के बाद कोई हिंसा नहीं हुई है, जबकि केंद्रीय सरकार के वकील ने एक पूर्व आइएएस अधिकारी के नेतृत्व में हिंसा की जांच के लिए एसआइटी गठित करने की मांग की। इस पर मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राज्य ने अच्छा काम किया है। कानून व्यवस्था राज्य की जिम्मेदारी है। अब नागरिक का अभिभावक राज्य सरकार है। दूसरी ओर राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि फिलहाल हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है।

चुनाव के बाद हिंसा मामले में राज्य की ओर से महाधिवक्ता ने कहा, छह मई को तीन मौतें और 8 मई एक मौत हुई है। नौ मई से कोई अशांति की घटना नहीं घटी है। मतदान के बाद की अशांति को रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने एक उच्च स्तरीय बैठक की थी। राज्य ने एक हलफनामे के साथ गृह सचिव को सूचित किया कि हिंसा की घटनाएं हुई हैं, हालांकि, नौ मई के बाद कोई और हिंसा नहीं हुई।