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Bengal News: विधायक बायरन विश्वास के तृणमूल में शामिल होने से विरोधी एकजुटता पर सवाल, टीएमसी पर लग रहे आरोप

कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद बायरन विश्वास ने टीएमसी ज्वाइन कर ली। इसको लेकर विरोधी एकजुटता पर सवाल खड़ा हो गया है। तृणमूल के अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा विरोधी गठबंधन का हिस्सा बनने पर संशय बन गया है।

By Jagran NewsEdited By: Shalini KumariUpdated: Sun, 04 Jun 2023 06:26 PM (IST)
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तृणमूल के अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा विरोधी गठबंधन का हिस्सा बनने पर संशय
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा उपचुनाव जीतने वाले बायरन विश्वास के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की हालिया घटना ने विरोधी एकजुटता पर सवाल खड़ा कर दिया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल क्या ऐसा करके 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा विरोधी गठबंधन का हिस्सा बन पाएगी?

तृणमूल नेतृत्व की कड़े शब्दों में की निंदा

कांग्रेस के केंद्रीय से लेकर बंगाल इकाई तक के नेताओं इस मुद्दे पर तृणमूल के रवैये की कड़ी निंदा की है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए तृणमूल नेतृत्व की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि ऐतिहासिक जीत दर्ज करके कांग्रेस विधायक चुने जाने के तीन महीने बाद ही बायरन विश्वास ने तृणमूल में जाने का फैसला किया। यह सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र की जनता के साथ विश्वासघात है।

ममता ने विपक्ष सरकार को घेरा

गोवा, मेघालय, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में पहले हो चुकी इस तरह की खरीद-फरोख्त विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए नहीं की गई थी। यह केवल भाजपा के उद्देश्यों को पूरा करती है। इसके कुछ ही घंटों के भीतर ममता ने कहा कि त्रिपुरा, गोवा और मेघालय जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने के तृणमूल के फैसले को कांग्रेस अनावश्यक रूप से मुद्दा बना रही है। यह दृष्टिकोण सही नहीं है कि केवल भाजपा और कांग्रेस ही राष्ट्रीय पार्टियों के रूप में बनी रहे।

12 जून को होगी विपक्षी दलों की बैठक

राजनीतिक पर्यवेक्षकों की राय है कि 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से पटना में 12 जून को बुलाई गई भाजपा विरोधी दलों की बैठक में बायरन विश्वास का मुद्दा उठने पर विरोधी एकजुटता के लिए तैयार किए जा रहे माहौल के खराब होने की आशंका है।

राजनीतिक पर्यवेक्षक आरएन सिन्हा के मुताबिक, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि पटना में होने वाली बैठक में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कौन करेगा।

लोकसभा चुनाव के लिए कारगर नहीं होगी कोई व्यवस्था

अगर प्रतिनिधि कांग्रेस में तृणमूल समर्थक लाबी का कोई नेता हुआ तो पटना की बैठक में बायरन प्रकरण को हल्के से भी नहीं छुआ जाएगा। वहीं, राजनीतिक विश्लेषक सब्यसाची बंद्योपाध्याय का मानना है कि बैठक का नतीजा चाहे जो भी हो, बंगाल में इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं होगी।

साधारण अंकगणित कहता है कि कांग्रेस और तृणमूल के बीच सीटों के बंटवारे की कोई भी व्यवस्था अगले लोकसभा चुनाव के लिए कारगर नहीं होगी।

अधीर रंजन को नाराज नहीं कर सकती कांग्रेस

तृणमूल के साथ सौदेबाजी की स्थिति में कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए अधिकतम दो सीटें मिलेंगी, जो वर्तमान में कांग्रेस सांसदों के ही पास हैं। एक मुर्शिदाबाद में और दूसरी मालदा में। इसके विपरीत, वाममोर्चा के साथ सौदेबाजी की स्थिति में कांग्रेस कम से कम सात सीटों का प्रबंधन कर सकती है।

अधीर रंजन चौधरी की वरिष्ठता और पार्टी के प्रति समर्पण को देखते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे शीर्ष कांग्रेसी नेता ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे अधीर नाराज हो जाएं।

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