जिन्हें खुद गिरफ्तार किया, अदालत में उन्हीं को नहीं पहचान पाई पुलिस! कोर्ट ने स्मरण-शक्ति पर जताई कड़ी नाराजगी
मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़े एक मामले में पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया था अदालत में मामले पर सुनवाई के समय उन्हें खुद ही पहचान नहीं पाई। कलकत्ता हाई कोर्ट ने जांच से जुड़े पुलिसकर्मियों की कमजोर स्मरण शक्ति पर कड़ी नाराजगी जताई है। खंडपीठ ने बंगाल के पुलिस महानिदेशक को गिरफ्तार लोगों को पहचान नहीं पाने पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश दिया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़े एक मामले में पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया था, अदालत में मामले पर सुनवाई के समय उन्हें खुद ही पहचान नहीं पाई। कलकत्ता हाई कोर्ट ने जांच से जुड़े पुलिसकर्मियों की 'कमजोर' स्मरण शक्ति पर कड़ी नाराजगी जताई है।
न्यायाधीश जयमाल्य बागची की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बंगाल के पुलिस महानिदेशक को गिरफ्तार लोगों को पहचान नहीं पाने पर उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश दिया है।
तस्करी मामले में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया
मालूम हो कि नदिया जिले में मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में कुछ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जिले के भीमपुर थाने के आईसी, सब-इंस्पेक्टर, एएसआई, कांस्टेबल व दो सिविक वालेंटियरों ने उन लोगों को पकड़ा था, लेकिन उनमें से कोई अदालत में गिरफ्तार लोगों को पहचान नहीं पाया।स्मरण शक्ति कमजोर तो पुलिस की नौकरी करने के योग्य नहीं
खंडपीठ ने कड़े शब्दों में कहा कि अगर उनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो गई है तो वह पुलिस की नौकरी करने के योग्य नहीं रह गए हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी। आरोप है कि गिरफ्तार लोगों को अग्रिम जमानत दिलवाने की कोशिश की जा रही है।
इस साल 16 जनवरी से सात मार्च के दौरान इस तरह के कम से कम सात मामलों में जमानत अथवा अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर हुई हैं। उन सभी मामलों में पुलिस का ढुलमुल रवैया पाया गया है। हाई कोर्ट इसे बेहद गंभीरता से ले रहा है।
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