West Bengal: 2010 ईएफआर सुरक्षाकर्मी नरसंहार मामले में 13 माओवादियों को आजीवन कारावास की सजा
ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स कैंप पर हमले के 23 दोषियों में 13 माओवादियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। 15 फरवरी 2010 को माओवादियों के गुरिल्ला दस्ते ने सिलदा हेल्थ सेंटर के पास ईएफआर कैंप पर हमला कर 24 जवानों की हत्या कर दी थी और वहां से कई आधुनिक श्रृंखला की राइफल कार्बाइन सहित बड़ी संख्या में हथियार लूट लिए थे।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। 14 साल पहले बंगाल के सिलदा स्थित ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स (ईएफआर) कैंप पर माओवादी हमला मामले में मेदिनीपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने मंगलवार को 23 लोगों को दोषी करार दिया था।
बुधवार को जज सलीम शाही ने 13 माओवादियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
10 दोषियों को 29 फरवरी को होगी सजा
अर्थ दंड का भुगतान नहीं करने पर और तीन महीने अतिरिक्त जेल की सजा दी गई है। बाकी दस दोषियों को गुरुवार को सजा सुनवाई जाएगी। मालूम हो कि 15 फरवरी 2010 को माओवादियों के गुरिल्ला दस्ते ने सिलदा हेल्थ सेंटर के पास ईएफआर कैंप पर हमला कर 24 जवानों की हत्या कर दी थी और वहां से कई आधुनिक श्रृंखला की राइफल, कार्बाइन सहित बड़ी संख्या में हथियार लूट लिए थे। बुधवार सुबह अदालत में प्रवेश करते समय इन आरोपितों ने खुद को निर्दोष बताया।यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि आप निर्दोष हैं
जज ने कहा कि यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि आप निर्दोष हैं। आज के फैसले के बाद आपको इसकी कापी मिल जाएगी। उसके बाद आप उच्च न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं। मानवाधिकार संगठन एपीडीआर के सचिव बोर्ड की सदस्य जयश्री पाल अदालत में मौजूद थीं। जयश्री ने कहा कि झूठे गवाहों के बयान पर सजा दी गई है। न्याय के नाम पर तमाशा हुआ है। इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की जाएगी।
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