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Bengal News: बंगाल में बड़ी सियासी घटना! स्पीकर ने पहली बार राज्यपाल को दरकिनार कर बुलाया विधानसभा का विशेष सत्र

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल जानबूझकर गतिरोध पैदा कर रहे हैं। बंगाल के इतिहास में यह पहली बार है जब इस तरह से राज्यपाल को दरकिनार कर पूर्व सूचना के किसी अध्यक्ष ने 24 घंटे से भी कम समय में विधानसभा का अचानक विशेष सत्र बुलाया है। आमतौर पर विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी आवश्यक होती है।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Thu, 04 Jul 2024 10:30 PM (IST)
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विधानसभा अध्यक्ष ने इशारे में दिया बड़ा फैसला लेने का संकेत। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार के शपथ ग्रहण में देरी को लेकर राज्यपाल डा सीवी आनंद बोस के साथ चल रहे टकराव के बीच विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) बिमान बनर्जी ने गुरुवार को एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए शुक्रवार से राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की। कहा कि सदन का कामकाज पूरी तरह से राज्यपाल पर निर्भर नहीं है।

विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत में अध्यक्ष ने कहा कि विशेष सत्र शुक्रवार दोपहर दो बजे से शुरू होगा। उससे पहले सुबह 11 बजे से विधानसभा की कार्य मंत्रणा समिति की विशेष बैठक होगी।

विधानसभा अध्यक्ष ने राष्ट्रपति से विवाद में हस्तक्षेप की मांग की थी

इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने पिछले सप्ताह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भी पत्र लिखकर शपथ विवाद में हस्तक्षेप की मांग की थी। अध्यक्ष ने राज्यपाल पर इसे दंभ की लड़ाई बनाने का आरोप लगाया था।

राज्यपाल जानबूझकर गतिरोध पैदा कर रहे- विधानसभा अध्यक्ष

उन्होंने कहा कि राज्यपाल जानबूझकर गतिरोध पैदा कर रहे हैं। गौरतलब है कि बंगाल के इतिहास में यह पहली बार है जब इस तरह से राज्यपाल को दरकिनार कर पूर्व सूचना के किसी अध्यक्ष ने 24 घंटे से भी कम समय में विधानसभा का अचानक विशेष सत्र बुलाया है। आमतौर पर विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी आवश्यक होती है। वैसे भी जुलाई या अगस्त के महीने में मानसून सत्र बुलाया जाता है। इसकी बजाय विशेष सत्र बुलाया गया है।

विधानसभा अध्यक्ष ने इशारे में बड़ा संकेत दिया

विधानसभा अध्यक्ष ने इशारे में दोनों नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ को लेकर भी कोई बड़ा फैसला लेने के संकेत दिए। राज्यपाल का नाम लिए बिना उनपर निशाना साधते हुए अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा असहाय नहीं है और सब कुछ राज्यपाल के हाथ में नहीं है। नियम, कानून और संवैधानिक मानदंड है। नियम के अनुसार कोई भी स्पीकर विधानसभा सत्र बुला सकता है। यह उनका विशेषाधिकार है। स्पीकर के इस कदम से राज्य में सियासी सरगर्मियां बढ़ने के साथ राजभवन के साथ टकराव और बढ़ने के आसार बढ़ गए हैं।

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