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5वीं की छात्रा छह महीने की गर्भवती, माता-पिता ने खटखटाया कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा; गर्भपात की मांग की

सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पांचवीं की एक छात्रा के छह महीने की गर्भवती होने का मामला सामने आया है। उसके माता-पिता ने गर्भपात की मांग को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि इस संबंध में गुरुवार को निर्देश दिए जाएंगे। दरअसल कुछ महीने पहले छात्रा के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म के साथ-साथ शारीरिक यातना भी दी गई थी।

By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalUpdated: Wed, 16 Aug 2023 08:00 PM (IST)
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माता-पिता ने खटखटाया कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा, लड़की के गर्भपात की मांग की। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पांचवीं की एक छात्रा के छह महीने की गर्भवती होने का मामला सामने आया है। उसके माता-पिता ने गर्भपात की मांग को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि, इस संबंध में गुरुवार को निर्देश दिए जाएंगे।

छात्रा के साथ हुआ था सामूहिक दुष्कर्म

दरअसल, कुछ महीने पहले छात्रा के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म के साथ-साथ शारीरिक यातना भी दी गई थी। इतने समय तक परिवार को नाबालिग के गर्भवती होने की जानकारी नहीं थी। पिछले महीने इलाज के दौरान उन्हें इसके बारे में पता चला। नाबालिग की मानसिक और शारीरिक स्थिति को देखते हुए परिवार ने भ्रूण को नष्ट करने का फैसला किया है। इसके बाद अस्पताल की ओर से उन्हें बताया गया कि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना यह गर्भपात संभव नहीं है।

क्या कहता है कानून?

कानून के मुताबिक, कोई महिला, नाबालिग या नाबालिग का परिवार डॉक्टर की सलाह के बाद पांच महीने तक गर्भपात का फैसला ले सकता है। विशेष परिस्थितियों में इसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है। उसके बाद गर्भपात कराने के लिए अदालत की अनुमति की आवश्यकता होती है।

न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य ने जताई हैरानी

न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई पर हैरानी जताई। उन्होंने नाबालिग की उम्र को लेकर चिंता जताई। परिवार के वकील प्रतीक धर ने कहा कि पीड़िता सामान्य जिंदगी में लौटना चाहती है। अभी वह बच्चे को जन्म देने की मानसिक स्थिति में नहीं है। नाबालिग का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। 11 साल की लड़की के लिए एक बच्चे की जिम्मेदारी उठाना संभव नहीं है। सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता भी कम है। उन्हें कानून की जानकारी ही नहीं है। इसीलिए उन्होंने सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराने में देरी की।

पूर्व मेदिनीपुर में दर्ज कराई गई थी शिकायत

पिछले महीने राज्य बाल संरक्षण आयोग की मदद से पूर्व मेदिनीपुर के कोलाघाट पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि कम उम्र में गर्भाधान के कारण भ्रूण का वजन कम है और कुछ अन्य समस्याएं भी हैं।

नाबालिग का खुद का भविष्य अनिश्चित है- वकील

वकील ने कहा कि सिर्फ स्वस्थ बच्चे को जन्म देना ही नहीं, बल्कि ऐसी स्थिति से गुजरने के बाद मां बनना भी समाज के एक वर्ग द्वारा अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है। नाबालिग का खुद का भविष्य अनिश्चित है, वह बच्चे की जिम्मेदारी कैसे उठाएगी? नाबालिग की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कोर्ट को इजाजत देनी चाहिए। हाई कोर्ट द्वारा मामले का संज्ञान लेने के बाद त्वरित सुनवाई का अनुरोध स्वीकार कर लिया गया। गुरुवार को इस संबंध में निर्देश दिए जाएंगे।

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