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एक ही व्यक्ति मेयर और मंत्री के दो पदों पर कैसे रह सकता है? राज्यपाल ने ममता सरकार से मांगा स्‍पष्‍टीकरण

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य सरकार के साथ विवाद का एक और मुद्दा खड़ा कर दिया है। उन्‍होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा है कि एक ही व्यक्ति फिरहाद हकीम एक साथ कोलकाता नगर निगम (KMC) के मेयर और राज्य नगरपालिका मामलों व शहरी विकास मंत्री के रूप में दो पदों पर कैसे रह सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Mon, 02 Oct 2023 04:27 PM (IST)
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राज्यपाल ने ममता सरकार से मांगा स्‍पष्‍टीकरण (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस (CV Ananda Bose) ने राज्य सरकार के साथ विवाद का एक और मुद्दा खड़ा कर दिया है। उन्‍होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा है कि एक ही व्यक्ति, फिरहाद हकीम, एक साथ कोलकाता नगर निगम (KMC) के मेयर और राज्य नगरपालिका मामलों व शहरी विकास मंत्री के रूप में दो पदों पर कैसे रह सकते हैं।

गवर्नर हाउस से राज्य सचिवालय को लिखे इस पत्र की जानकारी सोमवार सुबह सामने आई है, लेकिन राजभवन सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में राज्यपाल की ओर से रविवार रात को ही विज्ञप्ति भेज दी गई है। अपने पत्र में राज्यपाल बोस ने राज्य सचिवालय से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या शहर के मेयर और राज्य कैबिनेट मंत्री की ये दो समानांतर पद लाभ के पद के दायरे में आते हैं।

फिरहाद हकीम का प्रतिक्रिया देने से इनकार

केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत बंगाल सरकार को केंद्रीय धन जारी करने के मामले में जंतर-मंतर पर तृणमूल कांग्रेस के दो दिवसीय आंदोलन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नई दिल्ली गए फिरहाद हकीम ने इस मामले में प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। उन्होंने केवल इतना कहा कि वह केवल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रति जवाबदेह हैं, जिन्होंने उन्हें इन पदों के लिए नियुक्त किया है।

राज्य शिक्षा विभाग और राजभवन में ठनी

रविवार रात को ही राजभवन ने बंगाल में छह और राज्य विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति के राज्यपाल के फैसले की घोषणा की। इससे राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच विवाद का एक और मुद्दा शुरू हो गया है। राज्य शिक्षा विभाग ने कुलपतियों की इन नियुक्तियों पर दो बिंदुओं पर आपत्ति जताई है। पहली आपत्ति यह है कि नियुक्तियां राज्य शिक्षा विभाग से चर्चा या सहमति के बिना की गईं। आपत्ति का दूसरा बिंदु उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति के रूप में एक सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी की नियुक्ति को लेकर है।

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