West Bengal: ममता मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल, कई मंत्रियों के विभाग बदले; सीएम ने अपने पास रखा जेल मंत्रालय
West Bengal पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्रियों ने मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल करते हुए कई मंत्रियों के विभाग बदले हैं। इसमें कई मंत्रियों की जिम्मेदारियां बढ़ाई गई हैं। वहीं तीन दिन पहले जेल मंत्री के इस्तीफे के बाद ममता ने फिलहाल यह विभाग अपने पास रखा है। इसके अलावा बाबुल सुप्रियो को कई नए विभाग दिए गए हैं। पढ़िए किसे मिला कौन सा मंत्रालय।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल की है। कई विभागों में फेरबदल करने के बावजूद तीन दिन पहले मंत्री पद से हटाए गए अखिल गिरि का जेल विभाग फिलहाल किसी को नहीं सौंपा गया है, यह विभाग फिलहाल खुद ममता देखेंगी। दूसरी ओर मानस भुइयां, चंद्रिमा भट्टाचार्य और बाबुल सुप्रियो की जिम्मेदारी बढ़ाई गई है। गुलाम रब्बानी का विभाग बदल दिया गया है।
पर्यावरण विभाग से हटाकर उन्हें गैर पारंपरिक ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। तृणमूल के कई विधायक और यहां तक कि मंत्री भी लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने हैं। वन विभाग की एक महिला अधिकारी से बदसलूकी के आरोप में अखिल गिरी को अपना मंत्री पद गंवाना पड़ा है। वह जेल मंत्री थे। इतना ही नहीं, छह और विधायक उपचुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने कैबिनेट में फेरबदल किया है।
किसे मिली किस कार्यालय की जिम्मेदारी?
राज्य के सिंचाई मंत्री पार्थ भौमिक अब बैरकपुर से सांसद हैं। राज्य के जल संसाधन विकास मंत्री मानस भुइयां को सिंचाई विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। चंद्रिमा भट्टाचार्य वित्त विभाग की स्वतंत्र प्रभार वाली राज्य मंत्री थीं। अब पर्यावरण विभाग भी उन्हें सौंपा गया है। गुलाम रब्बानी इस विभाग के मंत्री थे। उन्हें हटाकर अब गैर-पारंपरिक ऊर्जा विभाग दिया गया है।बाबुल सुप्रियो ने बालीगंज उपचुनाव जीता था और राज्य के मंत्री बने थे। अभी तक वह सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। अब उन्हें औद्योगिक पुनर्निर्माण विभाग की जिम्मेदारी भी दे दी गई है। यह विभाग पहले राशन घोटाले में जेल में बंद ज्योतिप्रिय मल्लिक के पास था। जेल विभाग की जिम्मेदारी फिलहाल किसी को नहीं दिया गया है।
जेल मंत्रालय पर फैसला बाद में
खबर है कि इस पर फैसला बाद में किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव के बाद राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल का फैसला लिया था, जिसकी फाइल को राजभवन को भेजी गई थी। परंतु, राज्यपाल का अनुमोदन नहीं मिलने की वजह से यह फेरबदल नहीं हो पा रहा था। मंगलवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए तो अगले ही दिन बुधवार को फेरबदल हो गया।प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि जेल विभाग पर कोई निर्णय नहीं होने के कारण फेरबदल की फाइलें राजभवन को भेजी गई थी। इसके बाद अखिल पर विवाद हुआ और फिर उन्होंने मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया। परिणामस्वरूप, जेल विभाग उस समय प्रस्तावित परिवर्तनों की सूची में नहीं था, लेकिन चूंकि मुख्यमंत्री ने अभी वह कार्यालय अपने पास रखा है, इसलिए सवाल उठता है कि क्या भविष्य में जेल कार्यालय अखिल को वापस दिया जा सकता है? प्रशासनिक खेमे के एक वर्ग के मुताबिक यह असंभव नहीं है।
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