अपने गढ़ में क्यों हारे अधीर रंजन चौधरी? कांग्रेस की आंतरिक रिपोर्ट में सामने आया ये बड़ा कारण
बहरामपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों में से अधीर को सिर्फ एक में ही बढ़त मिल पाई थी। बाकी छह पर उनके वोटों में भारी गिरावट देखी गई है। कुछ में तो अधीर तीसरे स्थान पर खिसक आए। अब कांग्रेस की आंतरिक रिपोर्ट में उनकी हार की वजह सामने आई है। पढ़िए पूरी खबर. . .
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कांग्रेस की बंगाल इकाई की आंतरिक समीक्षा रिपोर्ट में पार्टी का जनाधार कम होने का तथ्य सामने आया है। इसी वजह से बहरामपुर में बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी चुनाव हार गए। पार्टी ने अपनी आतंरिक रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है।
सियासी विश्लेषकों का कहना है कि बहरामपुर में मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी है, जो लंबे समय से अधीर के पक्ष में मतदान करती आई है। इस बार उन्होंने अधीर का साथ नहीं दिया। यूसुफ पठान जैसा मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी देखकर उन्होंने पाला बदल लिया।
टीएमसी के युसुफ पठान से मिली थी हार
वहीं स्थानीय कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बहरामपुर में इस बार वोटों का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण अधीर की हार का कारण बना। हार के बाद अधीर ने भी कहा था कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा की हिंदू-मुस्लिम की राजनीति के कारण उनकी हार हुई है। मालूम हो कि अधीर बहरमपुर से पांच बार सांसद रहे हैं। इस बार उन्हें तृणमूल प्रत्याशी पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान से हार का सामना करना पड़ा।पार्टी नेताओं में नाराजगी
बहरामपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों में से अधीर को सिर्फ एक में ही बढ़त मिल पाई। बाकी छह पर उनके वोटों में भारी गिरावट देखी गई है। कुछ में तो अधीर तीसरे स्थान पर खिसक आए। अंदरखाने खबर यह भी है कि पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के एक वर्ग की अधीर से भारी नाराजगी है, इसलिए इस बार उन्होंने अधीर के लिए चुनाव प्रचार नहीं किया। कुछ ने तो चोरी-छिपे यूसुफ पठान व भाजपा के लिए काम किया।
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