Bengal : दो बहनों व हैम रेडियो की मदद से तीन साल पहले नेपाल से भागे युवक को भेजा गया उसके घर
सूरज बीके नामक 23 साल के इस युवक को बारुईपुर की बेदबेरिया रामकृष्ण पल्ली में रुनु हवलदार व दीपाली प्रमाणिक नामक दो बहनों ने सड़कों पर आवारा की तरह घूमते देखा। उसके शरीर पर चोट के निशान थे और खून बह रहा था। दोनों बहनें उसे स्थानीय अस्पताल ले गईं और वहां उसका इलाज कराने के बाद रामकृष्ण पल्ली स्थित अपने घर ले आईं।
By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 07 Aug 2023 06:58 PM (IST)
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के बारुईपुर इलाके में रहने वालीं दो बहनों व हैम रेडियो, वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब की मदद से तीन साल पहले नेपाल से भागे एक युवक को उसके घर भेजा गया है। सूरज बीके नामक 23 साल के इस युवक को बारुईपुर की बेदबेरिया रामकृष्ण पल्ली में रुनु हवलदार व दीपाली प्रमाणिक नामक दो बहनों ने सड़कों पर आवारा की तरह घूमते देखा। उसके शरीर पर चोट के निशान थे और खून बह रहा था।
पड़ोसियों ने युवक को बताया अपराधी
दोनों बहनें उसे स्थानीय अस्पताल ले गईं और वहां उसका इलाज कराने के बाद रामकृष्ण पल्ली स्थित अपने घर ले आईं। उन्होंने उसे खाना खिलाया और नए कपड़े दिए। इसके बाद जब उन्होंने उससे उसका नाम व घर के बारे में पूछा तो वह युवक कुछ बता नहीं पाया। पड़ोसियों ने उसे अपराधी बताते हुए रुनु व दीपाली को उसे घर से भगा देने को कहा लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं कर हैम रेडियो, वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अंबरीश नाग बिश्वास से संपर्क किया।
सूरज को लग गई थी मोबाइल की लत : बिश्वास
बिश्वास ने बताया-'हमने उसके हाव-भाव देखकर विभिन्न भाषाओं में उससे बातचीत करने की कोशिश की। जब हमने नेपाली भाषा में बातचीत की तो उसने अपना सिर हिलाया। इसके बाद हमने नेपाल के हैम रेडियो आपरेटरों से संपर्क किया और एक घंटे के अंदर उसके घर का पता लगा लिया। पश्चिम नेपाल के बागलंग इलाके से उसके भाई ने हमें फोन पर बताया कि सूरज को मोबाइल की लत लग गई थी। इस कारण उसे काफी डांट पड़ती थी।सूरज को दूतावास को किया गया सुपुर्द
इसी कारण वह तीन साल पहले घर छोड़कर भाग गया था। जिस समय वह भागा था, तब बिल्कुल सामान्य था। इसके बाद हमने कोलकाता स्थित नेपाली वाणिज्य दूतावास से संपर्क किया। दूतावास से एक टीम ने बारुईपुर जाकर सूरज से बातचीत की। उसके बाद सूरज को दूतावास को सुपुर्द कर दिया गया। दूतावास की ओर से उसे रेल मार्ग से नेपाल उसके घर भेजने की व्यवस्था की गई। रुनु व दीपाली को उसके साथ जाने की अनुमति दी गई।'
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