अमेरिका ने रासायनिक हथियारों का अंतिम जखीरा पूरी तरह किया नष्ट, राष्ट्रपति बाइडन बोले- जरुरी है पाबंदी
राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा की है कि अमेरिका ने रासायनिक हथियारों के अंतिम जखीरे को नष्ट करने का कार्य पूरा कर लिया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि पिछले 30 वर्षों से लगातार अमेरिका इसके लिए प्रयासरत था। राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि मैं बचे देशों को रासायनिक हथियारों से जुड़े समझौते में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करूंगा जिससे इन हथियारों पर पूरी तरह रोक लग सके।
वाशिंगटन, आइएएनएस। राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा की है कि अमेरिका ने रासायनिक हथियारों के अंतिम जखीरे को नष्ट करने का कार्य पूरा कर लिया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि पिछले 30 वर्षों से लगातार अमेरिका इसके लिए प्रयासरत था।
55 रॉकेट को सात जुलाई को किया नष्ट
जो बाइडन ने कहा कि आज बताते हुए खुशी हो रही है कि अमेरिका ने इसे सुरक्षित तरीके से पूरा करने में सफलता हासिल की है। केंटूकी स्थित ब्लू ग्रास आर्मी डिपो में सरीन नर्व एजेंट से भरे एम 55 रॉकेट को अंतिम रूप से सात जुलाई को नष्ट कर दिया गया।
राष्ट्रपति जो बाइडन ने की अमेरिकन की प्रशंसा
राष्ट्रपति ने उन हजारों अमेरिकन की प्रशंसा की, जिन्होंने इसे पूरा करने में अपना योगदान दिया। बाइडन ने कहा कि मैं बचे देशों को रासायनिक हथियारों से जुड़े समझौते में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करूंगा, जिससे इन हथियारों पर पूरी तरह रोक लग सके। उन्होंने कहा कि रूस और सीरिया को रासायनिक हथियार समझौते के अनुपालन की ओर लौटना चाहिए। साथ ही अपने अघोषित कार्यक्रम को स्वीकारना चाहिए।
रासायनिक हथियारों को क्यों किया नष्ट?
गौरतलब है कि यह सफलता हेग के रासायनिक हथियारों के निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) के सामने घोषित रासायनिक हथियारों के पूरे जखीरे को नष्ट करने से जुड़ा है। रासायनिक हथियारों से जुड़े समझौते को लागू करने के लिए ओपीसीडब्ल्यू जिम्मेदार है। यह अंतरराष्ट्रीय हथियार नियंत्रण संधि वर्ष 1997 में अमेरिका की ओर से स्वीकारी गई थी। यह संधि सभी शामिल सदस्य देशों पर रासायनिक हथियारों के विकास, निर्माण, संचय, स्थानांतरण और प्रयोग पर पाबंदी लगाती है।