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अमेरिका के खुफिया अधिकारियों का बड़ा खुलासा, चुनाव के बाद हिंसा भड़का सकते हैं रूस, ईरान और चीन

USA Intel Report अमेरिका के वरिष्ठ खुफिया अधिकारियों ने मंगलवार को चेतावनी दी कि रूस और ईरान अगले महीने होने वाले चुनाव के बाद अमेरिका में हिंसक विरोध प्रदर्शनों को बढ़ावा देने की कोशिश में हैं। अधिकारियों ने कहा कि विदेशी ताकतों का उद्देश्य विभाजन को बढ़ाना चुनाव परिणामों पर संदेह पैदा करना और राष्ट्रपति सत्ता के हस्तांतरण को जटिल बनाना है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Wed, 23 Oct 2024 07:28 AM (IST)
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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन। ( सभी फोटो- रॉयटर्स)
रॉयटर्स, वाशिंगटन। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने देश में पांच नवंबर को होने जा रहे चुनाव से पहले रूस, चीन और ईरान द्वारा अमेरिकियों को फूट डालकर बरगलाने और चुनाव बाद हिंसा भड़काने का शक जताया है। खुफिया अधिकारियों ने अमेरिकी चुनाव की सुरक्षा पर पत्रकारों को जानकारी देते हुए यह आशंका व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि विदेशी ताकतें अपनी मंशा पूरी करने को हिंसा फैलाने के लिए धमकियों और दुष्प्रचार का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। ये ताकतें अनिश्चितता पैदा कर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि विदेशी ताकतें खासकर रूस, ईरान और चीन समाज में विघटन पैदा करने पर उतारू हैं।

डाइरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलीजेंस ऑफिस के एक अधिकारी ने कहा कि ये ताकतें अपना मकसद हासिल करने के लिए इन गतिविधियों में लगातर सक्रिय हैं। हालांकि उक्त अधिकारी ने यह बात नहीं स्वीकारी कि इन गतिविधियों में तीनों देश मिलकर अंजाम दे रहे हैं।

रूस ने की अमेरिकी को भर्ती करने की कोशिश

अमेरिकी की खुफिया एजेंसी ने बताया कि जनवरी में रूसी सैन्य खुफिया ने अमेरिका में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए एक अमेरिकी को भर्ती करने की कोशिश की। ज्ञापन में कहा गया कि अमेरिकी संभवतः अनजाने में था और उसे नहीं पता था कि वह रूसी एजेंटों के संपर्क में है।

इस साल हिंसा का जोखिम अधिक

अधिकारियों ने कहा कि इस साल चुनाव के बाद अमेरिका के किसी विरोधी द्वारा राजनीतिक हिंसा को बढ़ावा दिए जाने का जोखिम अधिक है। 6 जनवरी, 2021 को ट्रम्प समर्थकों द्वारा यूएस कैपिटल पर किए गए हमले ने यह भी उजागर किया कि चुनाव परिणामों के बारे में झूठे और भ्रामक दावे कितनी आसानी से वास्तविक दुनिया में घातक कार्रवाई को ट्रिगर कर सकते हैं।

इसमें कहा गया है कि मतदान के दिन और नए राष्ट्रपति के पदभार ग्रहण करने के बीच की अवधि विशेष जोखिम वाली है। इस दौरान भ्रामक दावों और अनियमितताओं का आरोप लगा चुनाव को बाधित किया जा सकता है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि ध्रुवीकरण के कारण राजनीतिक हिंसा की आशंका बढ़ गई है। अधिकारियों ने कहा कि रूस-चीन और ईरान अमेरिका की एकता को कमजोर करना चाहते हैं।

ईरान ने हैक की ट्रंप की ईमेल

अधिकारियों ने यह भी बताया कि ईरान ने गलत सूचना के माध्यम से और अभियान ईमेल को हैक करके ट्रम्प के प्रचार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। बता दें कि ट्रम्प के प्रशासन ने ही ईरान के साथ परमाणु समझौते को खत्म किया था। इसके अलावा ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या भी की थी। ईरान ने सुलेमानी की हत्या का बदला लेने की बात कही थी।

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