Chinese Spy Balloon: आधुनिक तकनीक से लेस चीनी जासूसी गुब्बारे पर अमेरिका के बंधे हाथ; हमले से हो सकता है संकट
अमेरिकी विशेषज्ञों ने कहा कि चीनी निगरानी गुब्बारा जिसे पेंटागन ने संवेदनशील अमेरिकी बैलिस्टिक मिसाइल स्थलों पर उड़ते हुए पाया है वह आधुनिक तकनीकी से लैस हो सकता है। गुब्बारे जासूसी करने के लिए एक मूल्यवान साधन होते हैं जिन्हें नीचे गिराना मुश्किल होता है।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 04 Feb 2023 11:36 PM (IST)
वाशिंगटन, एएफपी। अमेरिकी विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि चीनी निगरानी गुब्बारा जिसे पेंटागन ने संवेदनशील अमेरिकी बैलिस्टिक मिसाइल स्थलों पर उड़ते हुए पाया है वह आधुनिक तकनीकी से लैस हो सकता है। वाशिंगटन में मैराथन इनिशिएटिव थिंक टैंक में निगरानी एवं गुब्बारों के विशेषज्ञ विलियम किम ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि गुब्बारे जासूसी करने के लिए एक मूल्यवान साधन होते हैं, जिन्हें नीचे गिराना मुश्किल होता है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में एक और गुब्बारा देखा गया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से हो रहा संचालित
गुब्बारों के विशेषज्ञ विलियम किम के मुताबिक, पहला चीनी गुब्बारा अलग विशेषताओं के साथ सामान्य मौसम के गुब्बारे की ही तरह दिखता है। जानकारी एकत्र करने के लिए इसमें बड़े पैमाने पर पेलोड और सोलर पैनल लगाए गए हैं और इसको इसी के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस गुब्बारे को देखने से पता चलता है कि इसमें उन्नत स्टीयरिंग तकनीकें हैं। इस गुब्बारे को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से माध्यम से एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा सकता है।
रडार के पकड़ से होता है बाहर, जासूसी में मिलती है मदद
किम ने कहा कि जैसे-जैसे उपग्रह पृथ्वी और अंतरिक्ष से हमला करने के लिए अधिक संवेदनशील होते जाते हैं, गुब्बारों के अलग-अलग फायदे होते हैं। उन्होंने कहा कि ये गुब्बारे आसानी से रडार पर दिखाई नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि इसका प्रतिबिंब भी दिखाई नहीं देती है। हालांकि ये कितने भी बड़े क्यों न हो जाएं। किम ने आगे कहा कि इसमें लगा पेलोड बहुत ही छोटा होता है और वह आसानी से पकड़ में नहीं आ पाता है। तस्वीरें लेने के लिए जासूसी एजेंसियों द्वारा लगातार परिक्रमा करने वाले उपग्रहों की तुलना में गुब्बारों को एक निगरानी लक्ष्य पर स्थिर रखने का भी फायदा होता है।हीलियम का होता है इस्तेमाल
उन्होंने कहा, 'गुब्बारे को मार गिराना उतना आसान नहीं होता है, जितना लगता है। आप इसे यूं ही शूट नहीं कर सकते हैं। इसमें हीलियम का इस्तेमाल किया जाता है और शूट करने के बाद यह ऊपर चला जाता है। अगर आप इसमें छेद भी करते हैं तो इसके गैस बहुत धीरे- धीरे बाहर निकलता है।' उन्होंने कहा कि साल 1998 में इसी तरह के गुब्बारे को मार गिराने के लिए कनाडाई वायु सेना ने F-18 लड़ाकू जेट विमान से गोलियां दागीं, जिसके बाद भी गुब्बारे के नीचे आने में छह दिन का समय लग गए। उन्होंने बताया कि यह ऐसी चीजें नहीं है जो आसानी से फट जाए। हालांकि उन्होंने कहा कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें इस पर काम करेंगी या नहीं।
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