अगली महामारी से बचाएगा 80 साल पुराना एंटीबायोटिक! खतरनाक बीमारियों से लड़ने में है कारगर
Superbug Infections शोधकर्ताओं को डर है कि 2050 तक सुपरबग महामारी से चार करोड़ लोगों की मौत हो सकती है। इसी बीच सुपरबग्स से लड़ने के लिए शोधकर्ता स्ट्रेप्टोथ्रीसिन की फिर से जांच कर रहे हैं। स्ट्रेप्टोथ्रीसिन को 80 साल से भी ज्यादा पहले बनाया गया था। हालांकि शोधकर्ताओं ने स्ट्रेप्टोथ्रीसिन के इस्तेमाल पर अब तक रोक लगा रकी है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद दुनिया को सुपरबग का खतरा मंडरा रहा है। लैंसेट की स्टडी ने एक डराने वाला खुलासा किया है।
आशंका जताई गई है कि 2050 तक सुपरबग्स से करीब 40 मिलियन (4 करोड़) मौतें हो सकती हैं। दरअसल, सुपरबग एक जर्म्स है, माइक्रोबियल स्ट्रेन हैं। इंसानों और जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल और दुरुपयोग की वजह से सुपरबग्स में बढ़ोतरी हुई है।
सुपरबग्स से लड़ सकती है स्ट्रेप्टोथ्रीसिन
सवाल ये है कि सुपरबग्स से लड़ने के लिए हम कितना तैयार हैं। दरअसल, शोधकर्ता एंटीबायोटिक स्ट्रेप्टोथ्रीसिन की फिर से जांच कर रहे हैं। स्ट्रेप्टोथ्रीसिन (Streptothricin) को 80 साल से भी ज्यादा पहले बनाया गया था। शोधकर्ता, इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या यह एंटीबायोटिक सुपरबग्स से लड़ने के लिए प्रभावी है। एंटीबायोटिक को अब नूर्सोथ्रिसिन नाम दिया गया है।शोधकर्ताओं ने क्यों स्ट्रेप्टोथ्रीसिन के उपयोग पर लगाई है रोक?
हालांकि, शोधकर्ताओं ने स्ट्रेप्टोथ्रीसिन के इस्तेमाल पर अब तक रोक लगा रकी है। शोधकर्ताओं को डर है कि स्ट्रेप्टोथ्रीसिन के इस्तेमाल से किडनी संबंधी बीमारियां हो सकती है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पैथोलॉजिस्ट जेम्स किर्बी और उनके सहयोगी ने स्ट्रेप्टोथ्रीसिन की फिर से जांच करने और उसके उपयोग करने की वकालत की है।
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