Move to Jagran APP

शी चिनफिंग और जो बाइडन के बीच विवादों को सुलझाने का बड़ा मौका, बैठक में उठ सकते हैं कई मुद्दे

जो बाइडन और शी चिनफिंग के बीच होने वाली वर्चुअल बैठक से दोनों देशों को काफी उम्‍मीद है। माना जा रहा है क‍ि लंबे समय से जारी तनाव को इसके जरिए कम करने में मदद जरूर मिलेगी और दोनों देश आगे बढ़ सकेंगे।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 14 Nov 2021 08:28 AM (IST)
Hero Image
दोनों देशों के बीच विवादों को सुलझाने का बड़ा मौका
वाशिंगटन (एएनआई)। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्‍ट्रपति के बीच होने वाली वर्चुअल मीटिंग को लेकर दोनों ही तरफ से तैयारियां तेज हो गई है। नेड प्राइस का कहना है कि राष्‍ट्रपति को उन्‍होंने इस बात की जानकारी भी दी है। उनके मुताबिक दोनों देशों के बीच अपने विवादों को सुलझाकर आगे बढ़ने का ये एक अच्‍छा मौका है। उन्‍होंने ये भी कहा कि साझा हितों के मुद्दों पर आगे बढ़ने के लिए और प्रतियोगिता को बेहतर करने का भी ये मौका है।

उन्‍होंने राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग से अपील की है कि इस मीटिंग में वो भी विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने के मकसद से शामिल हों। नेड ने ताइवान के मुद्दे पर कहा कि ताइवान स्‍ट्रेट से उपजे तनाव को भी कम करने पर और ताइवान के लोगों के हितों को ध्‍यान में रखते हुए इस बैठक में उन्‍हें शामिल होना चाहिए। बता दें कि दोनों राष्‍ट्राध्‍यक्षों के बीच ये बैठक सोमवार को हो सकती है।  

आपको बता दें कि अमेरिका और चीन के बीच विभिन्‍न मुद्दों को लेकर लंबे समय से खींचतान जारी है। इसकी वजह से दोनों ही देशों के बीच तीखी बयानबाजी तक हो चुकी है। विवादित मुद्दों में ताइवान की सुरक्षा और स्‍वतंत्रता, हांगकांग का मामला, शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के प्रति होने वाले मानवाधिकारों के उल्‍लंघन का मामला, कोरोना उत्‍पत्ति का मामला और व्‍यापार युद्ध भी शामिल है। 

गौरतलब है कि दोनों ही देश इन विवादों और इसके चलते हुई तीखी बयानबाजी के बाद एक दूसरे के राजनयिकों तक को देश से बाहर कर चुके हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद दोनों देश एक बार फिर से अपने बंद हो चुके कांउसलेट को दोबारा शुरू कर देंगे। ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका साफ कर चुका है कि वो युद्ध की सूरत वो ताइवान की सुरक्षा के लिए आगे खड़ा होगा। अमेरिका के इस बयान पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई थी। चीन का कहना है कि किसी भी दूसरे देश को उसके आंतरिक मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।