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रोक-टोक बिना खेलने से बच्चों का होता है बेहतर विकास, जानिए- वैज्ञानिकों ने क्या कहा

अगर बड़ों की निगरानी के बिना बच्चों को स्वच्छंद रूप से खेलने का मौका मिले तो उनकी सोचने व समझने की शक्ति सामाजिक सक्रियता और रचनात्मकता बढ़ जाती है।

By Nitin AroraEdited By: Updated: Tue, 18 Feb 2020 07:50 AM (IST)
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रोक-टोक बिना खेलने से बच्चों का होता है बेहतर विकास, जानिए- वैज्ञानिकों ने क्या कहा
वॉशिंगटन, एजेंसी। यह बात पहले से ज्ञात है कि आउटडोर यानी घर के बाहर शारीरिक गतिविधि वाले खेल से बच्चों का बेहतर विकास होता है। अब इस मामले में एक और जानकारी सामने आई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आउटडोर खेलों के समय बच्चों पर कोई रोक-टोक नहीं हो, तो यह ज्यादा फायदेमंद सिद्ध हो सकता है।

अगर बड़ों की निगरानी के बिना बच्चों को स्वच्छंद रूप से खेलने का मौका मिले तो उनकी सोचने व समझने की शक्ति, सामाजिक सक्रियता और रचनात्मकता बढ़ जाती है। बच्चे जटिल स्थिति में सोचने में भी सक्षम बनते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया कि इस मामले में खेल का प्रकृति से संबंध होना ज्यादा फायदेमंद है। उदाहरण के तौर पर मिट्टी से खिलौने व तरह-तरह की आकृतियां बनाना, लकड़ी से घर बनाना और बेफिक्र होकर मिट्टी में खेलना बच्चों के विकास में अहम साबित हो सकता है। बच्चों की शारीरिक सेहत के लिए भी ऐसी गतिविधियां बेहतर होती हैं। (प्रेट्र)

गर्भाशय कैंसर की जांच को आसान करेगा नया ब्लड टेस्ट

वैज्ञानिकों ने ओवरियन यानी गर्भाशय कैंसर की जांच का नया तरीका ईजाद किया है। इसमें ब्लड टेस्ट के जरिये शरीर की प्रतिरक्षा को मापा जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर में कुछ इम्यून (प्रतिरक्षा) बायोमार्कर की जांच से यह जानना संभव हो सकता है कि गर्भाशय में बन रही गांठ कैंसर ग्रसित है या नहीं। इसमें किसी एमआरआइ या अल्ट्रासाउंड की जरूरत नहीं होती है। गर्भाशय का कैंसर महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाले कैंसर में शुमार है। इसमें जान जाने की दर भी सबसे ज्यादा रहती है।

आंकड़ों के मुताबिक, हर साल गर्भाशय कैंसर के करीब तीन लाख नए मामले सामने आते हैं और जांच के पांच साल के भीतर ही ज्यादातर मरीजों की जान चली जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जांच का नया तरीका पारंपरिक ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड के संयुक्त नतीजों के बराबर ही कारगर पाया गया है। (आइएएनएस)