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China Spy Balloons: चीन के जासूसी गुब्बारे विश्व स्तर पर नया खतरा : रिपोर्ट

आइपीसीएससी की रिपोर्ट के अनुसार गुब्बारे 68 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं जिससे किसी भी विमान के लिए उन तक पहुंच पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। आधुनिक रडारों से भी उनका पता लगा पाना काफी कठिन है।

By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Tue, 28 Feb 2023 04:30 AM (IST)
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गुब्बारों के निर्माण के लिए चीन को काफी मात्रा में हीलियम की जरूरत

वाशिंगटन, एएनआइ। हाल ही में अमेरिका में मिले चीन के जासूसी गुब्बारों को विश्व स्तर पर एक नया खतरा माना जा रहा है। इंडो-पैसिफिक सेंटर फार स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशंस (आइपीसीएससी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में ऐसे कई गुब्बारों ने अमेरिकी हवाई क्षेत्र का अतिक्रमण किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम चार गुब्बारों को हवाई, फ्लोरिडा, टेक्सास और गुआम में देखा गया। चार में से तीन घटनाएं ट्रंप प्रशासन के दौरान हुई थीं, लेकिन इनके चीनी जासूसी गुब्बारे होने के बारे में अभी हाल ही में पता चला था।

गुब्बारे 68 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकते

आइपीसीएससी की रिपोर्ट के मुताबिक, ये गुब्बारे 68 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं जिससे किसी भी विमान के लिए उन तक पहुंच पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। आधुनिक रडारों से भी उनका पता लगा पाना काफी कठिन है। हीलियम से संचालित होने वाले ये गुब्बारे किफायती होने के साथ-साथ बेहद खराब मौसम भी ठीक से काम करते रहते हैं।

चीन इन गुब्बारों को कई वर्षों से संचालित कर रहा है। इनके जरिये उसने पांच महाद्वीपों के कई देशों की जासूसी की है। चीन में इसका केंद्र उसके दक्षिणी तट के पास हैनान प्रांत में है। इन गुब्बारों के जरिये उसने भारत, जापान, ताइवान, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों के सैन्य प्रतिष्ठानों की जानकारियां जुटाई हैं। गुब्बारेनुमा ऐसी ही वस्तु को भारत में अहम नौसैनिक ठिकानों के ऊपर उड़ता हुआ देखा गया था। एक गुब्बारे को पोर्ट ब्लेयर के ऊपर उड़ता हुआ देखा गया था। अंडमान-निकोबार द्वीप हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से अहम भारत का नौसैनिक ठिकाना है।

गुब्बारों से किए जा सकते गुप्त परमाणु हमले 

जापान ने भी कहा है कि चीन के जासूसी गुब्बारों ने हाल के वर्षों में कम से कम तीन बार उसके हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के ये जासूसी गुब्बारे उसकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और उसकी वायुसेना का संयुक्त प्रयास है। कई जासूसी एजेंसियों का मानना है कि ये गुब्बारे कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइना (सीसीपी) का पीएलए में रहस्यमय पांचवा बल है।

इनके जरिये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (ईएमपी) और गुप्त परमाणु हमले किए जा सकते हैं। इन गुब्बारों के निर्माण के लिए चीन को काफी मात्रा में हीलियम की जरूरत होती है। इसके लिए उसने हीलियम के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए पहला बड़ा संयंत्र भी स्थापित किया है। इसमें सालाना 20 टन तरल हीलियम का उत्पादन किया जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद चीन हीलियम के लिए अमेरिका पर निर्भर है।