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Indo US Relation: चीनी आक्रामकता भी भारत-अमेरिकी संबंधों की बढ़ती जरूरत

अमेरिका और भारत दुनिया के सबसे पुराने और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में एक अद्वितीय संबंध साझा करते हैं और कॉकस के सह-अध्यक्षों के रूप में हम अपने सुरक्षा संबंधों और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना जारी रखेंगे।

By AgencyEdited By: Amit SinghUpdated: Wed, 21 Dec 2022 06:45 PM (IST)
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चीनी आक्रामकता भी भारत-अमेरिकी संबंधों की बढ़ती जरूरत
वाशिंगटन, पीटीआई: भारत के विरुद्ध हाल की चीनी आक्रामकता भी भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा भागीदारी मजबूत करने की याद दिलाती है। अमेरिका के वरिष्ठ सांसदों ने कहा है कि ऐसी घटनाएं भारत व अन्य सहयोगियों के साथ अमेरिका भागीदीरी को और सुदृढ़ करने की जरूरत बताती हैं। अमेरिका की इंडिया काकस को-चेयर से जुड़े सांसदों ने एक बयान जारी कर कहा है कि, अरुणाचल प्रदेश में चीनी आक्रामकता हमें याद दिलाती है कि अमेरिका को भारत के साथ सुरक्षा भागीदारी बढ़ाने की क्यों जरूरत है। यह अमेरिका और उसके सहयोगियों की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

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ड्रैगन के नापाक मंसूबे

को-चेयर ने कहा कि हाल में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के बाद भारत दूसरी बार चीनी आक्रामकता का शिकार हुआ है। 2020 में गलवन में चीन के साथ संघर्ष में 20 भारतीय जवान बलिदान हुए थे। बयान में कहा गया है इंडिया काकस को-चेयर वर्षों से भारत और अमेरिका के बीच मजबूत सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने का काम करता है। इंडिया काकस ने अमेरिकी सदन में पास एफवाइ23 एनडीएए, जिसमें खन्ना-शरमन-श्वेइकर्ट संशोधन शामिल है, के आलोक में भारत-अमेरिकी संबंधों को मजबूत किया है। इसे आगे भी और मजबूत करने की आवश्यकता है।

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र

एक बयान में कहा गया, 'अमेरिका और भारत दुनिया के सबसे पुराने और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में एक अद्वितीय संबंध साझा करते हैं और कॉकस के सह-अध्यक्षों के रूप में हम अपने सुरक्षा संबंधों और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना जारी रखेंगे।' भारत और चीन के सैनिकों के बीच नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में हालिया झड़प हुई थी। जून 2020 में गलवान घाटी में घातक संघर्ष के बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच यह पहली बड़ी झड़प हुई।

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