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'मैं अपने फैसले पर कायम हूं', US में समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने खुलकर रखी अपनी बात

सीजेआई चंद्रचूड़ भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालयों के परिप्रेक्ष्य विषय पर तीसरी तुलनात्मक संवैधानिक कानून चर्चा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वाशिंगटन डीसी पहुंचे है। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह समलैंगिक जोड़ों के नागरिक संघों के पक्ष में अपने अल्पमत के फैसले पर कायम हैं क्योंकि कभी-कभी यह विवेक का वोट और संविधान का वोट होता है।

By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Tue, 24 Oct 2023 11:38 AM (IST)
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अमेरिका में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह पर की बात
एएनआई, वाशिंगटन। अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह वाले मुद्दे पर बात की। दरअसल, सीजेआई चंद्रचूड़ 'भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालयों के परिप्रेक्ष्य' विषय पर तीसरी तुलनात्मक संवैधानिक कानून चर्चा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वाशिंगटन डीसी पहुंचे है।

इस दौरान उन्होंने कहा कि वह समलैंगिक जोड़ों के नागरिक संघों के पक्ष में अपने अल्पमत के फैसले पर कायम हैं, क्योंकि कभी-कभी यह 'विवेक का वोट और संविधान का वोट' होता है। इस कार्यक्रम की मेजबानी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन, डीसी द्वारा की गई थी।

'मैं अपने फैसले पर कायम हूं'

सीजेआई ने कहा, "मुझे विश्वास है कि यह कभी-कभी अंतरात्मा की आवाज और संविधान का वोट होता है और मैंने जो कहा है, मैं उस पर कायम हूं।" सीजेआई समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले पर भी कायम रहे। दरअसल, पीठ ने विशेष विवाह अधिनियम में हस्तक्षेप न करने और समलैंगिक जोड़ों को विवाह में समानता देने के मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार संसद पर छोड़ने का फैसला किया है।

सीजेआई ने एसोसिएशन को अधिकार देने के अपने अल्पमत निर्णय को भी दोहराया, जबकि पीठ में उनके अधिकांश सहयोगियों ने महसूस किया कि यूनियन बनाने के अधिकार को मान्यता देना फिर से पारंपरिक डोमेन से परे है और इसे संसद पर छोड़ दिया जाना चाहिए।

शादी को मान्यता देने का कानून संसद के कार्य क्षेत्र का हिस्सा

डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि समलैंगिक जोड़ों के लिए गोद लेने के अधिकार के उनके निष्कर्ष को पीठ के अधिकांश न्यायाधीशों द्वारा समर्थन नहीं मिला। सीजेआई ने महत्वपूर्ण फैसले सुनाते समय 13 उदाहरणों का भी हवाला दिया, जहां वह अल्पमत में थे।

उन्होंने कहा, "पीठ के सभी पांच न्यायाधीशों के सर्वसम्मत फैसले से, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हमने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और समलैंगिक समुदाय के लोगों को हमारे समाज में समान भागीदार के रूप में मान्यता देने के मामले में काफी प्रगति की है, लेकिन शादी करने का अधिकार देते हुए कानून बनाना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।"

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गोद लेने की मान्यता का किया जिक्र

सिविल यूनियनों और समलैंगिक जोड़ों के गोद लेने के अधिकार के मुद्दे पर पीठ के तीन अन्य न्यायाधीशों के साथ मतभेद पर सीजेआई ने कहा, "मेरे तीन सहयोगियों ने महसूस किया कि यूनियन बनाने के अधिकार को मान्यता देना फिर से पारंपरिक डोमेन से परे है और वह इसे संसद पर छोड़ देना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि उनके तीन सहयोगियों ने भी महसूस किया कि समलैंगिक संघों द्वारा गोद लेने के अधिकार की मान्यता न देना भेदभावपूर्ण था, लेकिन यह एक ऐसा विषय है, जिसे संसद द्वारा संबोधित किया जाना चाहिए।

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