Move to Jagran APP

परमाणु डील की आग को भड़काने का काम कर रहा है इजरायल, क्या चाहता है US

2015 में हुई परमाणु डील ईरान और अमेरिका के बीच तनाव की अहम वजह बनी हुई है। वहीं इस तनाव को और बढ़ाने का काम अब इजरायल ने किया है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 04 May 2018 03:11 PM (IST)
Hero Image
परमाणु डील की आग को भड़काने का काम कर रहा है इजरायल, क्या चाहता है US

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। अमेरिका ओर ईरान के बीच परमाणु डील का मुद्दा लगातार और उलझता ही जा रहा है। जहां एक तरफ इसको लेकर ईरान और अमेरिका की तरफ से तीखी बयानबाजी हो रही है वहीं अब इजरायल ने इस आग में घी डालने का काम किया है। इजरायल के राष्‍ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान पर आरोप लगाया है कि उसने परमाणु डील की आड़ में अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखा। ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े दस्तावेज अमेरिका के साथ साझा किए गए हैं। इसकी जानकारी खुद इजरायल के राष्‍ट्रपति बेंजामिन नेतन्‍याहू ने टीवी पर प्रसारित एक कार्यक्रम में दी है। दरअसल, नेतन्याहू ने टीवी चैनल प्रसारण में कहा कि इजरायली खुफिया एजेंसियों ने ईरान के गुप्त परमाणु भंडार से संबंधित 55,000 पेज के दस्तावेज और 183 सीडी हासिल किए हैं। उन्होंने कहा कि ईरान ने परमाणु कार्यक्रम कभी नहीं चलाने की बात कह कर झूठ बोला। परमाणु समझौते के बाद भी उसने फोरदो परमाणु परीक्षण स्थल पर भविष्य के लिए परमाणु हथियार संरक्षित रखे और उनका विस्तार किया।

अमे‍रिका की तरफ से जारी बयान

इस प्रसारण के बाद अमेरिका ने भी अपना बयान जारी करने में कोई देर नहीं की। इसके बाद ह्वाइट हाउस की तरफ से कहा गया कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने परमाणु डील का विकल्‍प खुला रखा है वो 12 मई या उससे पहले इस पर फैसला ले लेंगे। व्‍हाइट हाउस ने राष्‍ट्रपति ट्रंप की तरफ से कहा कि वे पहले से ही इस बात को कह रहे थे कि यह डील गलत है, इजरायल के बयान से यह साबित भी हो गया है। ह्वाइट हाउस से जारी बयान में कहा गया है कि नेतन्याहू की सूचना दमदार है। इससे ईरान के परमाणु हथियार वाली मिसाइल विकसित करने का पता चलता है। गौरतलब है कि ईरान ने प्रतिबंधों से राहत पाने के लिए 2015 में अमेरिका और पांच अन्य शक्तियों के साथ परमाणु समझौता किया था। समझौते के तहत ईरान ने परमाणु कार्यक्रम बंद करने पर सहमति जताई थी। ट्रंप ने ओबामा प्रशासन के दौरान हुए इस समझौते को खराब बता कर इससे अलग होने की धमकी दी है। आपको बता दें कि यह समझौता ओबामा प्रशासन के दौरान किया गया था और उस दौर में हुए कई फैसलों को ट्रंप पलट चुके हैं।

ईरान का इजरायल पर पलटवार

हालांकि परमाणु डील के मुद्दे पर जिन देशों ने ईरान से समझौता किया था उनमें इजरायल शामिल नहीं है। लेकिन इजरायल और ईरान के संबंध दशकों से खराब हैं। वहीं नेतन्‍याहू के इस बाबत ईरान पर आरोप लगाने के बाद ईरान की तरफ से भी पलटवार किया गया है। ईरान ने नेतन्याहू को झूठा बताया है। ईरान के विदेश उपमंत्री अब्बास अरागची ने कहा कि नेतन्याहू के ईरान पर लगाए गए आरोपों का उद्देश्य ईरान परमाणु समझौते को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के निर्णय को प्रभावित करना है। उन्होंने प्रेस टीवी से कहा, ‘सोमवार को नेतन्याहू का टीवी प्रेजेंटेशन बचकाना और घटिया शो था।’ उन्होंने कहा कि ये आरोप पूर्व में नेतन्याहू के भाषणों का दोहराव ही है और ईरान के खिलाफ इस तरह के आरोपों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) पहले ही गलत साबित कर चुकी है।

बंट गया विश्‍व

परमाणु डील के मुद्दे पर फिलहाल पूरा विश्‍व ही बंटा हुआ दिखाई दे रहा है। एक तरफ जहां इस मुद्दे पर इजरायल और सऊदी अरब ट्रंप के फैसले को सही ठहरा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ फ्रांस, जर्मनी और रूस ने इसको लेकर ट्रंप की आलोचना की है। कुछ दिन पहले ही फ्रांस के राष्‍ट्रपति ने अमेरिका की यात्रा भी है। लेकिन इस तनाव और इस पूरी कवायद के बावजूद बार-बार एक सवाल उठ खड़ा होता है कि आखिर इसके जरिए अमेरिका क्‍या करना चाहता है। इसका जवाब देने से पहले आपको यहां पर ये भी बता दें कि परमाणु डील पर कोई फैसला लेने के लिए ट्रंप ने 12 मई का दिन चुना है। वहीं 14 मई को अमेरिका येरुशलम में अपना दूतावास भी शिफ्ट करने वाला है। इन दोनों चीजों का आपस में लिंक न होते हुए भी यह कहीं न कहीं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। बहरहाल, जानकार मानते हैं कि परमाणु डील की धमकी देकर अमेरिका की मंशा कुछ और ही है। इसका डर दिखाकर वह क्षेत्र में अपने हथियारों की सप्‍लाई को बढ़ाना चाहता है।

 

हथियार बेचने की कवायद

ईरान समेत पूरे पश्चिम एशिया की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्‍ठ सीरियाई पत्रकार डॉक्‍टर वईल अवाद कहा कि जब से अमेरिका में डोनाल्‍ड ट्रंप ने सत्‍ता संभाली है तब से कई क्षेत्रों में तनाव चरम पर पहुंच गया है। यही चीज हमें पिछले काफी समय से उत्‍तर कोरिया में दिखाई दे रही है। अब यही ईरान में दिखाई दे रही है। उनका कहना था कि इस तनाव को बढ़ाने के पीछे अमेरिका का एक मात्र मकसद अपने हथियारों की बिक्री बढ़ाना है। उत्‍तर कोरिया से तनाव बढ़ा तो वहां दक्षिण कोरिया ने अमेरिका से हथियारों की बिक्री की है। वहीं अब ईरान में तनाव बढ़ाकर अमेरिका यहां के दूसरे मुल्‍कों को अपने हथियार बेचना चाहता है। ट्रंप की सारी कवायद सिर्फ इसके ही लिए हो रही है। आपको बता दें कि परमाणु समझौते को लेकर ईरानी संसद के स्‍पीकर अली लारिजानी पहले ही इस बात की आशंका जता चुके हैं कि यदि अमेरिका इससे पीछे हटता है तो इस समझौते का अंत हो जाएगा। ऐसा होने पर वैश्विक अराजकता भी पैदा हो सकती है। उन्‍होंने इस विवाद को सुलझाने के लिए रूस की तरफ एक उम्‍मीद भी जताई है।

क्‍या आप जानते हैं आखिर कहां और किस हाल में है ओसामा का पता लगाने वाला डॉक्‍टर

सीमा पर शांति बहाली की बात करने वाले चीन से भारत को रहना होगा सावधान 

भारत को गंभीरता से लेने और उसे वैश्विक शक्ति का दर्जा देने को तैयार है चीन!