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अवसाद रोधी दवा लेने वालों को कोविड - 19 से मौत का खतरा कम, नए रिसर्च में दावा

अमेरिका के 87 स्वास्थ्य केंद्रों के सेहत संबंधी रिकार्ड के आधार पर किए गए एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई कि सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर्स (एसएसआरआइ) श्रेणी की अवसाद रोधी दवा लेने वालों को कोविड-19 से मौत का खतरा कम होता है।

By TaniskEdited By: Updated: Tue, 16 Nov 2021 04:51 PM (IST)
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अवसाद रोधी दवा लेने वालों को कोविड से मौत का खतरा कम। (फोटो - एएनआइ)
वाशिंग्टन, एएनआइ। अमेरिका के 87 स्वास्थ्य केंद्रों के सेहत संबंधी रिकार्ड के आधार पर किए गए एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई कि सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर्स (एसएसआरआइ) श्रेणी की अवसाद रोधी दवा लेने वालों को कोविड-19 से मौत का खतरा कम होता है। इस अध्ययन निष्कर्ष का प्रकाशन 'जामा नेटवर्क ओपन' नामक पत्रिका में किया गया है। निष्कर्ष बताते हैं कि एसएसआरआइ के इस्तेमाल से कोविड की नाजुक स्थिति में लाभ मिलता है।

व्यापक पैमाने पर क्लीनिकल ट्रायल

हालांकि, इसके सटीक प्रमाणन के लिए व्यापक पैमाने पर क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत है। यूसी सैन फ्रांसिस्को स्थित बकर कंप्यूटेशनल हेल्थ साइंसेज इंस्टीट्यूट (बीसीएचएसआइ) की सदस्य और शिशु रोग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर मैरिना सिरोता ने कहा, 'हम यह नहीं कह सकते कि दवा यह प्रभाव छोड़ रही है, लेकिन सांख्यिकीय विश्लेषण इसके उल्लेखनीय संबंध का प्रमाण पेश करते हैं।'

इलेक्ट्रानिक स्वास्थ्य रिकार्ड का विश्लेषण किया गया

यूसीएसएफ-स्टैनफोर्ड रिसर्च टीम ने कर्नर रियल व‌र्ल्ड कोविड-19 के गैर चिन्हित डाटाबेस के इलेक्ट्रानिक स्वास्थ्य रिकार्ड का विश्लेषण किया, जिसमें करीब पांच लाख मरीजों की सूचनाएं उपलब्ध थीं। पाया गया कि जनवरी से सितंबर 2020 के बीच कोविड संक्रमित 83 हजार 584 मरीजों में से 3,401 एसएसआरआइ श्रेणी की दवा का इस्तेमाल कर रहे थे।

दवा इस्तेमाल करने वालों और नहीं करने वालों के बीच प्रभाव की तुलना की गई

इन आंकड़ों के आधार पर एसएसआरआइ का इस्तेमाल करने वालों और नहीं करने वालों के बीच प्रभाव की तुलना की गई। परिणाम बताते हैं कि फ्लुओक्सेटीन नामक दवा लेने वाले रोगियों के मरने की आशंका 28 फीसद कम थी। फ्लूवोक्सामाइन नामक एसएसआरआइ लेने वालों की मौत की आशंका 26 प्रतिशत कम थी, जबकि किसी भी प्रकार की एसएसआरआइ श्रेणी की दवा लेने वालों की मौत की आशंका अपेक्षाकृत आठ फीसद कम रही।

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