'यह अब भी दोहरे मानकों की दुनिया है', विदेश मंत्री जयशंकर ने प्रभावशाली देशों को सुनाई खरी-खरी
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित साउथ राइजिंग पार्टनरशिप्स इंस्टीट्यूशंस एंड आइडियाज शीर्षक से एक मंत्रिस्तरीय सत्र को विदेश मंत्री जयशंकर ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने प्रभावशाली देशों को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा कि यह अब भी दोहरे मानकों की दुनिया है। जो देश प्रभावशाली हैं वे परिवर्तन का विरोध कर रहे हैं।
राजनीतिक इच्छाशक्ति से ज्यादा राजनीतिक दबाव है- जयशंकर
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि बदलाव के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति से ज्यादा राजनीतिक दबाव है। विश्व में भावना बढ़ रही है और ग्लोबल साउथ एक तरह से इसका प्रतीक है, लेकिन राजनीतिक प्रतिरोध भी है। उन्होंने कहा कि जो प्रभावशाली पदों पर हैं, वे परिवर्तन के दबाव का विरोध कर रहे हैं।Speaking at the event: India-UN for Global South: Delivering for Development https://t.co/YxQ0MlZzNp
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 23, 2023
जयशंकर ने दिया कोविड का उदाहरण
जयशंकर ने कहा कि दूसरों की विरासत, परंपरा, संगीत, साहित्य और जीवन के तरीकों का सम्मान करना, यह सब उस बदलाव का हिस्सा है, जिसे ग्लोबल साउथ देखना चाहता है।उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सबसे अधिक यह देखा जा रहा है। जो आर्थिक रूप से प्रभावशाली हैं, वे उत्पादन क्षमताओं का लाभ उठा रहे हैं। जिनके पास संस्थागत प्रभाव या ऐतिहासिक प्रभाव है, उन्होंने वास्तव में उनको भी हथियार बना लिया है। कोविड स्वयं इसका उदाहरण रहा है। मुझे लगता है कि यह संपूर्ण परिवर्तन वास्तव में एक अर्थ में ग्लोबल साउथ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली पर अधिक से अधिक दबाव डालना है। ग्लोबल नार्थ बदलाव के प्रति बहुत प्रतिरोधी है।