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चार साल पहले चुनाव हारने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने अब कैसे दर्ज की ऐतिहासिक जीत? पांच बड़ी वजह आईं सामने

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। मतगणना से पहले ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर की बात कही जा रही थी। मगर परिणाम आने पर ट्रंप आसानी से जीत दर्ज करने मे कामयाब रहे हैं। कमला हैरिस कई राज्यों में जो बाइडन के प्रदर्शन को भी दोहराने में सफल नहीं हुईं। आइए जानते हैं ट्रंप की जीत की 5 वजहें?

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Thu, 07 Nov 2024 04:03 PM (IST)
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जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप संभालेंगे पदभार। ( फोटो- रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया है। जनवरी महीने में ट्रंप पदभार ग्रहण करेंगे। डोनाल्ड ट्रंप को 50.9% वोट मिले। वहीं कमला हैरिस को 47.6% फीसदी मत मिले। इलेक्टोरल कॉलेज में ट्रंप को 295 और कमला हैरिस को 226 वोट मिले। अमेरिका में राष्ट्रपति के लिए बहुमत का आंकड़ा 270 है।

चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध शरणार्थी, कारोबार, महंगाई और अर्थव्यवस्था को मुद्दा बनाया। बाइडन की नीतियों और उम्र को भी हथियार की तरह इस्तेमाल किया। ट्रंप की यह नीति काम कर गई। उधर, कमला हैरिस का प्रचार पर्यावरण, गर्भपात और एलजीबीटीक्यू पर अधिक केंद्रित था। इन मुद्दों पर अधिकांश मतदाताओं ने ध्यान नहीं दिया।

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के मुद्दे अधिक जन सरोकार से जुड़े हैं। इसका फायदा उन्हें चुनाव में मिला। आइए जानते हैं कि चार साल बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कैसे चुनाव में जीत दर्ज की?

1- अश्वेत और लैटिनों का मिला साथ

ट्रंप को अश्वेत और लैटिनों लोगों का भी साथ मिला है। इससे उनकी जीत की राह आसान हुई। एपी वोटकास्ट ने 1.20 लाख से अधिक लोगों के बीच सर्वे किया। इसमें खुलासा हुआ कि अश्वेत और लैटिनों ने पिछले चुनाव में जो बाइडन की अधिक मदद की थी। मगर इस बार जो बाइडन की तुलना में कमला हैरिस को कम वोट मिले हैं। इन मतदाताओं ने डोनाल्ड ट्रंप पर अधिक भरोसा जताया। ट्रंप ने फ्लोरिडा में मियामी डेड काउंटी में अपना कब्जा जमाया। यह काउंटी डेमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ है। यहां लगभग 68 फीसदी मतदाता लैटिनो हैं। 2020 की तुलना में भी ट्रंप ने युवाओं के बीच भी बेहतरीन प्रदर्शन किया।

2- काम आया अर्थव्यवस्था का मुद्दा

डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव के दौरान अर्थव्यवस्था को अपना सबसे बड़ा मुद्दा बनाया। उन्होंने यह तक कहा कि बाइडन प्रशासन अर्थव्यवस्था के मामले में अक्षम है। बढ़ती महंगाई की वजह से अमेरिका में मतदाता मौजूदा प्रशासन से परेशान थे। मुद्रास्फीति चरम पर थी। चारों तरफ बेरोजगारी का आलम था। अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट ने कमला हैरिस की राह में रोड़ा खड़ा कर दिया। अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर ट्रंप ने बाइडन को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

3- आयकर कम करने का एलान

डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव में वादा किया है कि वह आयकर को या तो खत्म कर देंगे या फिर काफी हद तक कम कर देंगे। उनकी जीत में इस वादे को भी अहम माना जा रहा है। ट्रंप का कहना कि अमेरिकी लोगों से आयकर लेने के बदले चीन जैसे देशों से आने वाली वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाकर भरपाई करेंगे। अगर डोनाल्ड ट्रंप ऐसा करते हैं तो अमेरिका के लोगों को निश्चित तौर पर राहत मिलेगी। मगर चीन और भारत जैसे देशों के सामने नया संकट खड़ा हो सकता है।

4- इमीग्रेशन का मुद्दा

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रचार के दौरान इमीग्रेशन नियमों को सख्त बनाने का वादा किया। अमेरिका में शरणार्थियों की समस्या सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। अमेरिका के लोगों का मानना है कि इन अवैध शरणार्थियों की वजह से संसाधनों के बंटवारे में दिक्कत आएगी। रोजगार आदि के अवसर सीमित होंगे। ट्रंप ने इस मु्द्दे को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन का रुख इस मामले में लापरवाह रहा है। अमेरिका में तेजी से हो रहे जनसांख्यिकी बदलाव को भी ट्रंप ने मुखरता से उठाया।

5- विदेश नीति

डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक विदेश नीति भी लोगों को अपने पक्ष में करने सफल रही। ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट की नीति और पुराना गौरव वापस लाने का वादा भी काम कर गया। ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को आर्थिक मदद देने के खिलाफ हैं। ट्रंप ने वैश्विक संकट के लिए बाइडन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। नाटो में भी सैन्य खर्च नहीं देने वाले सदस्य देशों के खिलाफ ट्रंप मुखर हैं। उनका कहना है कि भुगतान नहीं करने वाले देशों की सुरक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका क्यों ले?

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