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सीआइए के पूर्व अफसर पर चीन के लिए जासूसी करने का मामला दर्ज, बनना चाहता था ड्रैगन का मददगार

67 साल के अलेक्जेंडर युक चिंग मा को पिछले सप्ताह एक गुप्त ऑपरेशन के बाद गिरफ्तार किया गया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Tue, 18 Aug 2020 10:21 PM (IST)
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सीआइए के पूर्व अफसर पर चीन के लिए जासूसी करने का मामला दर्ज, बनना चाहता था ड्रैगन का मददगार
वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआइए) के पूर्व अधिकारी एवं फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआइ) के अनुबंधित भाषा-विज्ञानी के खिलाफ चीन के लिए जासूसी करने का मामला दर्ज किया गया है। वह अपने एक रिश्तेदार के साथ मिलकर खुफिया अफसरों के सूत्रों और गोपनीय रक्षा तकनीकों की जानकारी चीन तक पहुंचा रहा था। आरोप साबित होने पर उसे उम्रकैद तक हो सकती है। 

चीन का मददगार बनना चाहता था

67 साल के अलेक्जेंडर युक चिंग मा को पिछले सप्ताह एक गुप्त ऑपरेशन के बाद गिरफ्तार किया गया था। अभियोजकों के मुताबिक, उसने एक अंडरकवर अधिकारी से पैसे लिए थे और कहा था कि वह चाहता है कि उसकी मातृभूमि (चीन) तरक्की करे। वह कोरोना महामारी के मद्देनजर चीन का मददगार बनना चाहता था। होनोलूलू की संघीय अदालत में चिंग मा पर दूसरे देश के लिए गोपनीय रक्षा जानकारी जुटाने और उसे उस तक पहुंचाने का आरोप तय किया गया है। 

चीनी खुफिया अधिकारियों के साथ गोपनीय सूचनाएं साझा कीं

एफबीआइ के हलफनामे के मुताबिक, चिंग मा ने सीआइए में 1982 से 1989 तक काम किया। उसने मार्च 2001 में हांगकांग के एक होटल के कमरे में चीनी खुफिया अधिकारियों के साथ गोपनीय सूचनाएं साझा कीं। इस बैठक की वीडियो रिकार्डिग में चिंग मा को गोपनीय सूचनाएं देने के बदले 50,000 डॉलर (करीब 37 लाख रुपये) लेते देखा गया। 2004 में एफबीआइ में नौकरी शुरू करने के बाद भी उसने चीनी खुफिया अधिकारियों के साथ संपर्क बनाए रखा था।

पिछले तीन वर्षों में न्याय विभाग ने पूर्व अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के खिलाफ कम से कम तीन प्रतिवाद के मामले लाए हैं, जिन पर चीनी को खुफिया मामले  बेचने के आरोपी हैं। अधिकारियों ने व्यापक तरीके से चीनी जासूसी अभियान के रूप में वर्णित कुछ और अधिक उदाहरणों को चिह्नित किया

जुलाई महीने में एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने कहा कि चीन से हमारे देश की सूचना और बौद्धिक संपदा के लिए सबसे बड़ा दीर्घकालिक खतरा है। हमारी आर्थिक जीवन शक्ति के लिए चीन से कड़ा जवाब मिलने और आर्थिक जासूसी का खतरा है।