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'ओबामा को भारत की तारीफ में अपनी ऊर्जा खर्च करनी चाहिए', पूर्व राष्ट्रपति को अमेरिकी अधिकारी ने दी सलाह

अमेरिकी ईसाई धर्म प्रचारक जॉनी मूर (Johnnie Moore) ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) के एक बयान पर टिप्पणी की है।उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को भारत की आलोचना करने से ज्यादा उसकी सराहना करने में अपनी ऊर्जा खर्च करनी चाहिए। जॉनी मूर ने कहा कि भारत मानव इतिहास में सबसे विविधता वाला देश है और अमेरिका को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सराहना करनी चाहिए।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 26 Jun 2023 12:50 PM (IST)
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'ओबामा को भारत की तारीफ में अपनी ऊर्जा खर्च करनी चाहिए', पूर्व राष्ट्रपति को अमेरिकी अधिकारी ने दी सलाह
नई दिल्ली, एजेंसी। 'पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को भारत की आलोचना करने से ज्यादा उसकी सराहना करने में अपनी ऊर्जा खर्च करनी चाहिए।' यह टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग के एक पूर्व आयुक्त ने की है। अमेरिकी ईसाई धर्म प्रचारक जॉनी मूर ने कहा कि भारत मानव इतिहास में सबसे विविधता वाला देश है और अमेरिका को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सराहना करनी चाहिए।

भारत की आलोचना करने से ज्यादा तारीफ करने में खर्च करें ऊर्जा

सामचार एजेंसी ANI से बातचीत के दौरान जॉनी मूर ने कहा, 'मुझे लगता है कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को भारत की आलोचना करने से ज्यादा भारत की तारीफ करने में अपनी ऊर्जा खर्च करनी चाहिए। भारत मानव इतिहास में सबसे विविधता वाला देश है। मूर ने एएनआई को बताया, 'जैसे अमेरिका एक आदर्श देश नहीं है, वैसे ही यह एक आदर्श देश नहीं है, लेकिन इसकी विविधता इसकी ताकत है और हमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सराहना करनी चाहिए।'

भारत से बहुत कुछ सीख सकता है अमेरिका

मूर ने एएनआई को बताया कि, 'अमेरिका भारत से बहुत कुछ सीख सकता है। भारत पूरे विश्व में सबसे अधिक बहुलतावादी देश है। यह धर्मों की प्रयोगशाला है। मैं धर्म के बारे में जानने के लिए भारत गया था और भारत के बारे में उल्लेखनीय चीजों में से एक यह है कि एकल लोकतंत्र में अधिक भाषाएं, अधिक धर्म और अधिक विविध लोग हैं। ऐसा कुछ है जिसे हमें हर अवसर का जश्न मनाना चाहिए।'

बराक ओबामा ने क्या कहा था?

उल्लेखनीय है कि बराक ओबामा ने कुछ दिनों पहले कहा था कि जो बाइडन को भारत के साथ धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाना चाहिए।ओबामा ने कहा कि अगर वह अभी भी अमेरिकी राष्ट्रपति होते तो वो ऐसा करते।

22 जून को सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में ओबामा ने कहा कि यदि भारत जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं करता है, तो इस बात की प्रबल संभावना है कि किसी बिंदु पर देश अलग होना शुरू हो जाएगा। ओबामा के इस बयान के एक दिन बाद ही जॉनी मूर ने यह टिप्पणी की है।

यूएससीआईआरएफ ने बाइडेन से किया था यह आग्रह

यूएससीआईआरएफ ने राष्ट्रपति बाइडन से प्रधानमंत्री मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान भारत में धार्मिक स्वतंत्रता और अन्य संबंधित मानवाधिकारों के संबंधित मुद्दों को संबोधित करने का भी आग्रह किया था। इसमें आरोप लगाया गया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने भेदभावपूर्ण राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय नीतियों का समर्थन किया है जो अल्पसंख्यक समूहों की धार्मिक स्वतंत्रता को गंभीर रूप से बाधित और प्रतिबंधित करती हैं।

ओबामा की टिप्पणी पर भाजपा नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया

ओबामा की टिप्पणियों पर भारत में, विशेषकर सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति की टिप्पणियां आश्चर्यजनक थीं क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान छह मुस्लिम-बहुल देशों को अमेरिकी 'बमबारी' का सामना करना पड़ा था।