'मंगल ग्रह' पर अमेरिका के चार वैज्ञानिकों ने बिताया एक साल, सकुशल बाहर आने पर बजी तालियां; जानें क्या है ये खास मिशन
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 3डी प्रिटिंग के माध्यम से मंगल ग्रह के वातावरण जैसा एक अनोखा घर बनाया। यहां नासा के चार वैज्ञानिकों ने एक साल से अधिक समय बिताया। शनिवार सभी वैज्ञानिक सकुशल बाहर निकल आए हैं। यह नासा के तीन मिशनों में से पहला मिशन है। अमेरिका की योजना 2030 तक मंगल ग्रह में इंसानों को भेजने की है।
एएफपी, वाशिंगटन। चंद्रमा के बाद जल्द ही इंसान अब मंगल ग्रह पर अपने कदम रखेगा। इस दिशा में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। मंगल ग्रह के वातावरण की तरह डिजाइन खास घर में नासा के चार वैज्ञानिक 378 दिन बिताने के बाद सकुशल बाहर आ चुके हैं। इस मिशन के माध्यम से नासा यह शोध करने में जुटा है कि अगर इंसानों को मंगल ग्रह पर भेजा जाता है तो क्या-क्या करना होगा।
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चार वैज्ञानिकों ने बिताया एक साल
नासा के चार वैज्ञानिक एंका सेलारियु, रॉस ब्रॉकवेल, नाथन जोन्स और टीम लीडर केली हेस्टन ने पिछले एक साल से मंगल ग्रह पर जाने के मिशन से जुड़े कार्यक्रम का हिस्सा बने और मंगल ग्रह पर मनुष्य कैसे रहेगा, क्या चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, इसका अध्ययन किया।मानवीय संपर्क से दूर थे सभी
378 दिन बाद टेक्सास के ह्यूस्टन में "मंगल ग्रह" की तर्ज पर बने आवास से बाहर आने पर सभी लोगों ने जोरदार तरीके से इन वैज्ञानिकों का स्वागत किया। ये सभी पिछले एक साल से मानवीय संपर्क से दूर थे।
वैज्ञानिकों के चेहरे पर दिखी मुस्कान
वैज्ञानिकों ने इस घर में मार्सवॉक किया और सब्जियां भी उगाई। उनके लिए एक साल तक मानवीय संपर्क से दूर रहना ठीक वैसा ही था जैसा महामारी के दौरान लॉकडाउन का सिहरन पैदा करने वाला अनुभव था। मगर शनिवार को बाहर निकलने पर चारों वैज्ञानिकों के चेहरे हंसी से खिल उठे थे।इस खास आवास में क्या-क्या है?
मंगल ग्रह की तर्ज पर बना यह आवास 3डी प्रिटिंग से तैयार किया गया है। इसे मार्स ड्यून अल्फा नाम दिया गया है। इसका कुल क्षेत्रफल 1,700 वर्ग फुट है। इसमें शयनकक्ष, एक जिम, सामान्य क्षेत्र और खेत हैं। एक आउटडोर क्षेत्र लाल रेत से भरा है। यहीं पर टीम ने अपने "मार्सवॉक" के लिए सूट पहना था। हालांकि यह अब भी खुली हवा के बजाय ढका है।