संयुक्त राष्ट्र महासभा सप्ताह के दौरान गेटस फाउंडेशन का विश्व में सतत विकास लक्ष्यों के लिए बड़ी सहायता रकम का ऐलान
संयुक्त राष्ट्र महासभा सप्ताह के दौरान वैश्विक चुनौतियों के बीच स्वास्थ्य और खाद्वय संकट से जूझ रहे विकासशील देशों को इससे राहत दिलाने के लिए बिल एंड मिलिंडा गेटस फाउंडेशन ने 1.27 अरब डालर की सहायता की प्रतिबद्वता का ऐलान किया है।
By JagranEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Thu, 22 Sep 2022 07:48 PM (IST)
न्यूयार्क, संजय मिश्र। संयुक्त राष्ट्र महासभा सप्ताह के दौरान, वैश्विक चुनौतियों के बीच स्वास्थय और खाद्वय संकट से जूझ रहे विकासशील देशों को इससे राहत दिलाने के लिए बिल एंड मिलिंडा गेटस फाउंडेशन ने 1.27 अरब डालर की सहायता की प्रतिबद्वता का ऐलान किया है। वैश्विक कोविड महामारी के साथ यूक्रेन और यमन युद्व के चलते पटरी से उतरे संयुक्त राष्ट्र सतत विकास के लक्ष्य को फिर से आगे बढाने के लिए इसे बडे कदम के रूप में देखा जा रहा है। दुनिया की कई सरकारों, निजी-गैर सरकारी संगठनों और वैश्विक सामुदायिक नेताओं के साथ संयुक्त् राष्ट्र से जुडे संगठनों से चर्चा के बाद इस सहायता राशि की रूपरेखा तय की गई है।
जीवन बचाते हुए कई चुनौतियों का निकालना होगा स्थायी समाधान
यह फंडिंग उन वैश्विक संकटों का कुछ हद तक समाधान निकालेगी जो संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के लगभग हर संकेतक को अभी पीछे ले गए हैं। गेटस फाउंडेशन ने यहां आयोजित गोलीकीपर सम्मेलन में आए कई विश्व नेताओं और विशेषज्ञों से हुई चर्चा के बाद इसका ऐलान किया।गेट्स फाउंडेशन के सीईओ मार्क सुजमैन ने कहा कि दुनिया के सामने गहराए संकटों के बीच लोगों का जीवन बचाते हुए कई चुनौतियों का स्थायी समाधान निकालना है। जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं ओर वैश्विक खादय संकट इसका ताजा नमूना है जिसके चलते लाखों लोग भुखमरी के शिकार हो सकते हैं। विशेष कर अफ्रीकी देशों की हालत सबसे ज्यादा खराब है।
बारबडोस और स्पेन के पीएम ने जी सात देशों को दिखाया आईना
बिल और मिलिंडा गेटस के साथ इस सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया मोटली ने विकासशील देशों के साथ हो रहे गैरबराबरी के व्यवहार की बात उठाई। इस क्रम में खासकर जी सात देशों को आडे हाथों लिया और कहा कि चाहे वैक्सीन मुहैया कराने की बात हो या फिर संकट से जूझ रहे विकासशील देशों को कर्ज उधारी देने की नीति सब में दोहरा मापदंड अपनाया जाता है। लेकिन इस एकांगी सोच से चुनौती खत्म नहीं होगी क्योंकि दुनिया के देशों की एक दूसरे पर निर्भरता कहीं ज्यादा है और एक क्षेत्र में संकट गहराया तो बाकी विश्व भी अछूता नहीं रहेगा।
दुनिया भर के 300 से अधिक युवा चेंजमेकर और अपने क्षेत्रों के कई स्थापित हस्तियों के साथ स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने भी मोटली की बातों का पूरा समर्थन किया। मेलिंडा फ्रेंच गेट्स ने कहा कि हम वैश्विक लक्ष्यों की ओर तब तक प्रगति नहीं करेंगे, जब तक कि जीवंत अनुभव वाले लोगों को समाधान निकालने के लिए उनके साथ टेबल साझा नहीं करते।