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    H-1B वीजा फीस बढ़ने से भारत से ज्यादा अमेरिका पर होगा असर, ये सेक्टर होंगे प्रभावित

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 10:00 PM (IST)

    यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि से अमेरिकी स्टार्टअप और नवाचार अधिक प्रभावित होंगे भारत के आइटी सेवा निर्यात पर कम असर होगा। ट्रंप प्रशासन द्वारा एच1बी वीजा शुल्क को एक लाख डॉलर करने के बाद यह कदम भारत के पक्ष में काम कर सकता है क्योंकि इससे कम महत्व वाले कार्य भारत स्थानांतरित हो जाएंगे।

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    H-1B वीजा फीस बढ़ने से भारत से ज्यादा अमेरिका पर होगा असर

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआइएसपीएफ) के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी ने कहा कि अमेरिका की ओर से घोषित एच-1बी वीजा शुल्क वृद्धि भारत के आइटी सेवा निर्यात की तुलना में अमेरिकी स्टार्टअप और नवाचार को अधिक प्रभावित करेगी।

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    उन्होंने कहा कि यह कदम वास्तव में भारत के पक्ष में काम कर सकता है। गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा शुल्क को एक लाख डॉलर कर दिया है। उन्होंने कहा, ''यह भारत के पक्ष में है, क्योंकि अमेरिकी दृष्टिकोण से एच-1बी का किसी न किसी रूप में दुरुपयोग हो रहा था और वे उच्च-गुणवत्ता वाले लोगों को अमेरिका लाना चाहेंगे।

    भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव होगा

    इसका मतलब है कि एच-1बी पर अमेरिका आने वाले भारतीय कर्मचारियों को कहीं अधिक बेहतर पैकेज मिलेगा। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कम महत्व वाले कार्य भारत स्थानांतरित हो जाएंगे। हालांकि, एच1बी को लेकर काफी चर्चा है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था और उसके आइटी सेवा निर्यात पर इसका प्रभाव न्यूनतम होगा। इसका अमेरिका में नवाचारों और स्टार्टअप पर प्रभाव पड़ेगा।

    चुनौतियों के बावजूद संबंध आगे बढ़ते रहेंगे

    भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ पर अघी ने कहा कि व्यापार चुनौतियों के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापक संबंध आगे बढ़ते रहेंगे। वहीं, आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) अमेरिका के कार्यकारी निदेशक ध्रुव जयशंकर ने कहा कि वीजा शुल्क में बढ़ोतरी के बाद भारतीय और अमेरिकी दोनों कंपनियों ने कुशल प्रतिभाओं की पर्याप्त उपलब्धता पर चिंता व्यक्त की है।

    इमिग्रेशन व्यवस्था एक संप्रभु मामला

    उन्होंने कहा, ''भारत इस तथ्य से अवगत है कि किसी भी देश के लिए इमिग्रेशन व्यवस्था एक संप्रभु मामला है, जिसमें भारत भी शामिल है। इस लिहाज से अपनी वीजा नीतियों को तैयार करना वास्तव में प्रत्येक सरकार पर निर्भर है।'' उद्योग जगत ने इस बारे में कुछ चिंताएं जताई हैं कि क्या उन्हें नौकरियों के लिए पर्याप्त प्रतिभाएं मिल पा रही हैं, जिनमें भारत स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनियां और अमेरिकी कंपनियां भी शामिल हैं।

    (समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ)

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