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कोरोना संक्रमण के अस्पताल में भर्ती किए मरीजों को स्ट्रोक जैसी शिकायतें, वैज्ञानिक भी हैरान

अमेरिका के फिलाडेल्फिया की थामस जैफरसन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार कोविड-19 से संक्रमित अस्पताल में भर्ती हर सौ में से एक मरीज में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) में स्ट्रोक समेत कई जटिलताएं पैदा हो जाती हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 03 Dec 2021 04:26 PM (IST)
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कोविड-19 से संक्रमित मरीजों में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) में स्ट्रोक समेत कई जटिलताएं पैदा हो जाती हैं।
न्‍यूयार्क, आइएएनएस। कोविड-19 से संक्रमित अस्पताल में भर्ती हर सौ में से एक मरीज में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) में स्ट्रोक समेत कई जटिलताएं पैदा हो जाती हैं। अमेरिका के फिलाडेल्फिया की थामस जैफरसन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार अमेरिका में अस्पताल में भर्ती करीब कोविड-19 के 40 हजार मरीजों में सात अमेरिकी हैं जबकि करीब चार वेस्टर्न यूरोपियन यूनिवर्सिटी हास्पिटल के हैं। कोरोना संक्रमण के मरीजों के लक्षणों को देखते हुए डाक्टरों ने करीब 11 फीसद मरीजों के दिमाग में संक्रमण होने के लक्षण नजर आने लगते हैं।

रेडियोलाजी सोसाइटी आफ नार्थ अमेरिका की सालाना बैठक में शोधकर्ताओं ने कहा कि इसमें सबसे प्रमुख बीमारी इस्कीमिक स्ट्रोक है। इस्कीमिक स्ट्रोक तब होता है, जब मस्तिष्क की धमनियां संकरी या अवरुद्ध हो जाती हैं। इससे रक्त प्रवाह में काफी कमी हो जाती है। इसे इस्कीमिया कहा जाता है। इस्कीमिक स्ट्रोक के अंतर्गत थ्राम्बोटिक स्ट्रोक को शामिल किया जाता है।

समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक यह बीमारी 6.2 फीसद मरीजों में देखी गई है। इसके अलावा, 3.72 फीसद में ब्रेन हेमरेज होते देखा गया। करीब 0.47 फीसद कोरोना के मरीजों को इनफलाइटिस के लक्षण उभरे। इसके अलावा, कोरोना के दौरान फेफड़े से संबंधित रोग होने की भी शिकायत की जाती रही है। प्रमुख शोधकर्ता एस्काट एच.फारो (एमडी) के अनुसार इस वैश्विक महामारी के कारण मरीज का सेंट्रल नर्वस सिस्टम सबसे अधिक प्रभावित होता है। 

वहीं समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक स्ट्रोक के कारणों पर एनयूआई गॉलवे के सह-नेतृत्व में एक वैश्विक अध्ययन में पाया गया है कि 11 में से एक जीवित व्यक्ति ने एक घंटे में क्रोध या परेशान होने की अवधि का अनुभव किया। यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित शोध में पाया गया कि 20 में से एक मरीज ने भारी शारीरिक परिश्रम किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल लगभग 7,500 आयरिश लोगों को स्ट्रोक होता है जिनमें से लगभग 2,000 लोग मर जाते हैं।