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नासा के मंंगल पर भेजे जाने वाले मानव मिशन पर खतरे के बादल, जानें कैसे

समय के साथ-साथ मंगल ग्रह की अपनी समस्‍याओं की पहचान भी होने लगी है। अब वैज्ञानिकों ने यहां पर आने वाली समस्‍याओं की एक लिस्‍ट तैयार की है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 13 Sep 2018 01:40 PM (IST)
नासा के मंंगल पर भेजे जाने वाले मानव मिशन पर खतरे के बादल, जानें कैसे
नई दिल्‍ली (जागरण स्‍पेशल)। नासा द्वारा मंगल की जानकारी लेने के लिए भेजे गए इनसाइड लैंडर को लॉन्‍च किए हुए अभी महज छह माह पूरे हो गए हैं। यह 26 नवंबर को मंगल पर पहुंचेगा। यह यान मंगल की जमीन की भीतरी सतह की जांच करेगा। इस यान को इनसाइट (इंटीरियर एक्प्लोरेशन यूजिंग साइस्मिक इनवेस्टिगेशन जीयोडसी एंड हीट ट्रांसपोर्ट) का नाम दिया गया है। यदि यह मिशन कामयाब रहता है तो इससे मंगल ग्रह से जुड़े कई सारे रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा। लेकिन समय के साथ-साथ इस ग्रह की अपनी समस्‍याओं की पहचान भी होने लगी है। अब वैज्ञानिकों ने यहां पर आने वाली समस्‍याओं की एक लिस्‍ट तैयार की है। इस लिस्‍ट में शामिल तमाम चीजें मंगल मिशन पर जाने वाले पहले अंतरिक्षयात्रियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं।

मानव भेजने को तैयार हो रहा नासा
दरअसल, नासा मंगल पर जिस मानव भेजने की तैयारी कर रहा है। इस सफर में कई खतरे हैं। यह मिशन पूरी तरह से सफल हो इसलिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी हर कदम को फूंक-फूंक कर रख रही है। इसी कड़ी में उसने एक ऐसी सूची तैयार की है, जिसमें उन खतरों का जिक्र किया गया है, जो इस सफर में आ सकती हैं। नासा की प्रयोगशाला और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आइएसएस) द्वारा किए गए अध्ययन के आधार पर तैयार की गई इस सूची में पांच बड़ी मुश्किलों को शामिल किया गया है। नासा के मुताबिक, ये पांच मुश्किलें, विकिरण, अलगाव और बंधन, धरती से दूरी, गुरुत्वाकर्षण (लाल ग्रह पर धरती की तुलना में कम है) और बंद वातावरण हैं। नासा के शोधकर्ताओं के मुताबिक, अभी तक एकत्र किया गया डाटा, टेक्नोलॉजी और विधियां ऐसे अभियानों में मदद करती हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में इंसानी शरीर और दिमाग कैसा काम करेगा।

ये हैं चुनौतियां 
लाल ग्रह पर जाने की सबसे पहली बड़ी चुनौती विकिरण है क्योंकि इसे इंसानी आंखों से देखा नहीं जा सकता। इसलिए इसे पांच चुनौतियों में सबसे खतरनाक माना गया है। वहीं, दूसरी चुनौती अलगाव और बंधन है। अंतरिक्ष यात्रियों को जितना भी प्रशिक्षण दे दिया जाए, लेकिन अंतरिक्ष में थोड़ा समय बिताने के बाद उनके व्यवहार में बदलाव आने लगता है। परिवार से दूर और एक जगह पर बंद होने के कारण उन्हें मजबूत करना बड़ी चुनौती है। इसके अलावा धरती से मंगल की दूरी करीब 14 करोड़ मील है। चांद तक पहुंचने के लिए अंतरिक्षयात्रियों को मुश्किल से तीन दिन की यात्रा करनी पड़ी थी, लेकिन मंगल तक का सफर करीब तीन साल का है। चौथी समस्या वहां अलग तरह का गुरुत्वाकर्षण है। वहां का गुरुत्वाकर्षण धरती से कम है इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों को सामंजस्य बैठाने में समय लगेगा। इसके अलावा पांचवीं चुनौती मंगल का तापमान, दबाव और शोर है। इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार करना नासा की प्राथमिकता होगी

इनसाइट लैंडर
जहां तक नासा के इनसाइट लैंडर की बात है तो इसकी उलटी गिनती चालू है। यह यान 5 मई 2018 को कैलिफोर्निया के वांडेनबर्ग वायुसेना अड्डे से स्थानीय समयानुसार सुबह 4.05 बजे (भारतीय समयानुसार शाम पांच बजे) एटलस वी. रॉकेट से लांच किया गया था। इसके लॉन्‍च के बाद नासा के एक सुरक्षा अधिकारी ने ट्वीट कर कहा, ‘मंगल की सतह के नीचे क्रस्ट, मैटल और कोर की जानकारी हासिल करने की उम्मीद से उत्साहित हैं।

खोलेगा चट्टानी ग्रहों के निर्माण के राज
इनसाइट मंगल की गहरी आंतरिक संरचना का अध्ययन करेगी। इससे पृथ्वी और चंद्रमा समेत सभी चट्टानी खगोलीय पिंडों के निर्माण के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल की जा सके। इसके साथ ही यह भी जांच करना संभव होगा कि ग्रह के आंतरिक भाग से कितनी गर्मी का प्रवाह हो रहा है। लाल ग्रह की भूमध्य रेखा के पास दिन का ग्रीष्मकालीन तापमान 70 डिग्री फोरेनहाइट (20 डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच सकता है, लेकिन फिर रात से -100 फोरेनहाइट (-73 सेल्सियस) तक पहुंच जाता है।

इस यान की खासियत

- 5 से 16 फुट की गहराई तक जांच करेगा यान
- 15 गुना गहरा है नासा के पिछले मिशनों की तुलना में यह मिशन
- 630 किलो है इनसाइट मार्स लैंडर का वजन
- 6454 करोड़ रुपये मिशन का खर्च
- 26 नवंबर से काम करना शुरू कर देगा यान इनसाइट
- 26 महीने है रोवर की बैटरी की क्षमता
- 100 से ज्यादा भूकंपों की जांच का मिलेगा मौका
- 2012 में इससे पहले लांच हुआ था क्यूरियोसिटी  

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