भारत और अमेरिका मिलकर बनाएंगे अधिक दूरी तक मार करने वाली तोपें, चीन से लगी सीमा पर तैनाती की है जरूरत
भारत और चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ टकराव वाले स्थलों पर तीन साल से अधिक समय से तैनात हैं।हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा मंत्री ऐली रैटनर ने कहा कि यह राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन द्वारा उठाए गए उन अभूतपूर्व कदमों का हिस्सा है जो अमेरिका के सहयोगी देशों और साझेदारों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूती प्रदान करेगा।
वाशिंगटन, पीटीआई। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि अधिक दूरी तक की मारक क्षमता वाली तोपों और सैन्य वाहनों के सह उत्पादन के प्रस्तावों पर वह (अमेरिका) नई दिल्ली के साथ काम कर रहा है। भारत को चीन से लगी सीमा पर इन तोपों और सैन्य वाहनों की अभियानगत जरूरत है। भारत और चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ टकराव वाले स्थलों पर तीन साल से अधिक समय से तैनात हैं।
क्या कहा हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक ने ?
हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा मंत्री ऐली रैटनर ने कहा कि यह राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन द्वारा उठाए गए उन अभूतपूर्व कदमों का हिस्सा है, जो अमेरिका के सहयोगी देशों और साझेदारों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूती प्रदान करेगा। उन्होंने चीन पर अमेरिकी संसद में होने वाली चर्चा से पहले अपनी टिप्पणी में यह बात कही।
अमेरिका और चीन के संबंध
यह चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब मानवाधिकारों, प्रौद्योगिकी तक पहुंच, दक्षिण चीन और पूर्वी चीन सागरों पर क्षेत्रीय संप्रभुता के दावों और स्वशासित ताइवान के खिलाफ धमकियों को लेकर विवाद के मद्देनजर अमेरिका और चीन के संबंध प्रभावित हुए हैं।
रैटनर ने कहा, हाल ही में भारत के साथ हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान जेट इंजनों के सह उत्पादन और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और रक्षा सहयोग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को ठोस रूप दिया है। इसके अलावा चीन से लगी भारत की सीमा पर इसकी जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से पैदल सैनिकों के लिए वाहनों के सह उत्पादन के प्रस्ताव पर भी काम कर रहे हैं।