Move to Jagran APP

यूएन में रूस-यूक्रेन युद्ध के खिलाफ प्रस्ताव पर भारत ने फिर दिखाई कूटनीति, वोटिंग में नहीं लिया हिस्सा

Russia Ukraine war संयुक्त राष्ट्र में गुरुवार को पेश प्रस्ताव में मांग की गई है कि यूक्रेन के विरुद्ध रूस अपनी आक्रामकता तुरंत रोके और जपोरीजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर नियंत्रण छोड़ अपने अनधिकृत कर्मियों को वापस बुला ले। महासभा ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव के पक्ष में 99 मत और इसके विरुद्ध नौ मत पड़े।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Fri, 12 Jul 2024 05:42 PM (IST)
Hero Image
Russia Ukraine war यूएन में भारत ने दिखाई कूटनीति।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। Russia Ukraine war  संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन संघर्ष पर आए प्रस्ताव पर भारत का रुख एक बार फिर तटस्थ रहा। संयुक्त राष्ट्र में गुरुवार को पेश प्रस्ताव में मांग की गई है कि यूक्रेन के विरुद्ध रूस अपनी आक्रामकता तुरंत रोके और जपोरीजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर नियंत्रण छोड़ अपने अनधिकृत कर्मियों को वापस बुला ले। महासभा ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।

193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव के पक्ष में 99 मत और इसके विरुद्ध नौ मत पड़े। भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मिस्त्र, सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका समेत 60 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया। प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान करने वालों में बेलारूस, उत्तरी कोरिया, क्यूबा, सीरिया और रूस रहे शामिल।

प्रस्ताव का मसौदा यूक्रेन ने प्रस्तुत किया था, जिसका फ्रांस, जर्मनी व अमेरिका समेत 50 से अधिक देशों ने समर्थन किया। यूक्रेन में जपोरीजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र समेत परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा शीर्षक से पेश प्रस्ताव में मांग की गई कि रूस यूक्रेन के खिलाफ अपनी आक्रामकता तुरंत छोड़ दे और अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त यूक्रेन की सीमाओं के भीतर से अपनी सेना को बिना शर्त वापस बुला ले।

प्रस्ताव में कहा गया है कि यूक्रेन के ऊर्जा संयंत्रों पर रूसी हमले से उसके सभी परमाणु सुविधाओं पर खतरे की आशंका बढ़ गई है। उधर, प्रस्ताव पर मतदान से पहले रूस के प्रथम उप स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलियांस्की ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा दुर्भाग्य से कई ऐसे दस्तावेजों को स्वीकार कर चुकी है जिन पर सहमति नहीं थी, जो राजनीतिक थे और वास्तविकताओं से परे थे।

इसमें कहा गया, अब मतदान के समय कोई गलती न करें जिससे अमेरिका, यूक्रेन और ब्रिटेन जैसे देशों को यूक्रेन संघर्ष को भड़काने वाली नीतियां बनाने का मौका मिले।