भारत ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर साधा निशाना, UNSC में कहा- आतंक को राष्ट्र नीति बनाने वालों का हो त्याग
भारत ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की बैठक में एक बार फिर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तेज करने का आव्हान किया है। पाकिस्तान का नाम लिए बिना भारत ने कहा कि ऐसे देशों का त्याग करना चाहिए जो आतंकवाद को बढ़ावा देने की राष्ट्रीय नीति अपनाते हैं। भारत ने कहा कि ये देश दोहरे मापदंड अपनाते हैं।
पीटीआई, संयुक्त राष्ट्र। भारत ने उन देशों को दरकिनार करने का आह्वान किया है, जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मानदंडों का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे कई देशों ने आतंकवाद को बढ़ावा देने को राष्ट्र नीति बना रखा है। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान का नाम न लेते हुए उसकी करतूत पर यह बात कही है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने कहा, 'जब हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की बात करते हैं, तब हमें जान लेना चाहिए कि उसके लिए आतंकवाद सबसे बड़े खतरों में एक है। इसलिए हमें आतंकवाद के खात्मे के लिए लड़ाई में गंभीरता बरते जाने की जरूरत है। ऐसे में हमें उन देशों का त्याग करना होगा, जो आतंकवाद को लेकर दोहरे मानदंड अपनाते हैं। ऐसे देश अन्य देशों के खिलाफ परोक्ष लड़ाई में आतंकवादियों का इस्तेमाल करते हैं।'
सुरक्षा परिषद की बैठक में उठाया मुद्दा
रवींद्र ने यह बात अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर आयोजित सुरक्षा परिषद की बैठक में कही है। इस बैठक में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सहित विश्व के कई संगठनों के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे थे। भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान का नाम न लेते हुए कहा कि ऐसे देशों के कृत्यों के चलते एससीओ जैसे संगठनों में बेहतर तालमेल की संभावना प्रभावित होती है और बहुआयामी संगठन अपेक्षित रूप से प्रभावी नहीं बन पाते हैं।एससीओ में शामिल हैं भारत और पाकिस्तान
विदित हो कि चीन की अगुआई वाले एससीओ में भारत और पाकिस्तान सदस्य देश हैं। रवींद्र ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सभी प्रकार के आतंकवाद के खात्मे के लिए समन्वित रूप से प्रयास करने चाहिए, आतंकवाद को प्रश्रय देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और आतंकी संगठनों के आर्थिक ढांचे पर प्रहार करना चाहिए। इस बाबत सुरक्षा परिषद के संकल्पों को पूरी गंभीरता के साथ लागू किया जाना चाहिए। इन सभी प्रयासों से आतंकवाद को खत्म करने में मदद मिलेगी और विश्व में स्थायी शांति और सुरक्षा का वातावरण बनेगा।'