Move to Jagran APP

भारतीय अमेरिकी ने अपने मालिक को लगाई 2.7 मिलियन डॉलर की चपत, 2008 से कर रहा था धोखाधड़ी

एक भारतीय अमेरिकी ऑडिटर को अपने मालिक से 2.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के गबन के आरोप में दोषी ठहराया है। 41 साल के वरुण अग्रवाल पहले पहले कैलिफोर्निया में एक कमर्शियल रियल एस्टेट एजेंसी में काम कर रहे थे। अग्रवाल को एक वायर धोखाधड़ी के मामले में दोषी ठहराया गया है। दस साल तक अग्रवाल ने अपने पद का इस्तेमाल पैसे गबन करने के लिए किया।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Tue, 22 Aug 2023 09:00 AM (IST)
Hero Image
इस मामले की जांच एफबीआई ने की है (प्रतिकात्मक तस्वीर)
वाशिंगटन, एजेंसी। एक भारतीय अमेरिकी ऑडिटर को अपने मालिक से 2.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के गबन के आरोप में दोषी ठहराया है। 41 साल के वरुण अग्रवाल पहले पहले कैलिफोर्निया में एक कमर्शियल रियल एस्टेट एजेंसी में काम कर रहे थे। अग्रवाल को एक वायर धोखाधड़ी के मामले में दोषी ठहराया गया है।

न्याय विभाग ने कहा कि वरुण अग्रवाल ने अपने परिवार और दोस्तों द्वारा नियंत्रित कंपनियों के लिए फर्जी चालान जमा किए, जिनकी उसने कभी सेवाएं नहीं ली। याचिका समझौते के मुताबिक, साल 2008 से जनवरी 2022 तक अग्रवाल ने न्यूपोर्ट बीच स्थित केबीएस रियल्टी एडवाइजर्स के आंतरिक ऑडिटिंग विभाग में काम किया और विभाग के निदेशक के स्तर तक पहुंचे।

वेंडर्स को पैसे देने के नाम पर मालिक से लेता था पैसे

एक मीडिया प्रेस रिलीज में कहा गया है कि जनवरी 2012 से लेकर जनवरी 2022 तक वरुण अग्रवाल ने केबीएस में अपने पद का इस्तेमाल अपने मालिक के पैसे का गबन करने के लिए किया। कंपनी के आंतरिक ऑडिटिंग ग्रुप के सदस्य के रूप में अग्रवाल विक्रेताओं को भुगतान के लिए केबीएस की नीतियों और प्रक्रियाओं से परिचित था। उन्होंने केबीएस की नीतियों और प्रक्रियाओं के बारे में अपने दोस्तों और परिवार को केबीएस के लिए अनुबंध पर काम करने के लिए अनुमोदित वेंडर्स के रूप में सेवा प्रदान की।

अपने फायदे के लिए करता था चालान का इस्तेमाल

इनमें से कई कंपनियों के केबीएस के लिए अप्रूव वेंडर्स बनने के बाद वरुण अग्रवाल ने इन अप्रूव वेंडर्स का इस्तेमाल उन परामर्श सेवाओं के लिए फर्जी चालान जमा करने के लिए किया जो कंपनी के लिए नहीं की गई थीं। अभियोजकों ने आरोप लगाया कि इसके बाद अग्रवाल ने केबीएस से अपने बैंक खातों में स्वीकृत विक्रेताओं के जरिए चालान पर भुगतान को फाइनल कर दिया। उसने कई बार विक्रेताओं को यह नहीं बताया कि चालान और उसका भुगतान वरुण अपने फायदे के लिए कर रहा है।

खुद रखता था पैसे

इस पूरी योजना में वरुण अग्रवाल ने धोखाधड़ी से केबीएस से लगभग 2,729,718 अमेरिकी डॉलर प्राप्त किए। यह पैसे उसने अप्रूव वेंडर्स को देने के लिए प्राप्त किये थे, लेकिन उसने पैसे खुद रख लिए। कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक, कंपनी द्वारा चालान की जांच शुरू करने के बाद वरुण अग्रवाल ने जनवरी 2022 में केबीएस से इस्तीफा दे दिया। इस मामले की जांच एफबीआई ने की है।