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Israel-Hamas war: इजरायल का साथ देने के लिए यहूदी नेता ने पीएम मोदी को दिया धन्यवाद, भारत के लिए कह दी ये बड़ी बात

भारतीय-अमेरिकी यहूदी नेता निसिम रुबिन ने कहा है कि हमास हमले के बाद इजरायल को समर्थन देने वाले बयान के लिए यहूदी समुदाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी है। यहूदी नेता निसिम रुबिन ने 7 अक्टूबर को हुए हमलों के कुछ ही घंटों के भीतर भारत के समर्थन के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है। रुबीन पिछले 20 वर्षों से वाशिंगटन डीसी में काम कर रहे हैं।

By Siddharth ChaurasiyaEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Tue, 17 Oct 2023 09:42 AM (IST)
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यहूदी नेता निसिम रुबिन ने भारत के समर्थन के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है।

एजेंसी, वाशिंगटन। भारतीय-अमेरिकी यहूदी नेता निसिम रुबिन ने कहा है कि हमास हमले के बाद इजरायल को समर्थन देने वाले बयान के लिए यहूदी समुदाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी है। यहूदी नेता निसिम रुबिन ने 7 अक्टूबर को हुए हमलों के कुछ ही घंटों के भीतर भारत के समर्थन के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है।

पीटीआई से बात करते हुए, वाशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकी यहूदी समिति के एशिया प्रशांत संस्थान के सहायक निदेशक रुबिन ने बताया कि देश के अन्य निवासियों की तरह इजराइल में भारतीय यहूदी समुदाय भी हमास के क्रूर हमले से 'गंभीर रूप से प्रभावित' हुआ है। 7 अक्टूबर को इजरायल में हमास के हमले में 1,300 से अधिक लोग मारे गए हैं।

इजरायल के साथ खुलकर आए पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अक्टूबर को अपने इजरायली समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू से कहा कि भारत के लोग इस कठिन समय में उनके देश के साथ मजबूती से खड़े हैं। उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी और स्पष्ट निंदा की।

पिछले 20 वर्षों से वाशिंगटन डीसी में काम कर रहे रुबिन ने कहा, 'मैं एक भारतीय यहूदी हूं। मूल रूप से अहमदाबाद का रहने वाला हूं, लेकिन मेरा अधिकांश परिवार इजराइल में रहता है।' उनका काम अमेरिका-इजराइल के बीच साझेदारी बनाने पर केंद्रित है। उन्होंने युद्धग्रस्त देश में भारतीय यहूदी समुदाय की पीड़ाओं का हवाला देते हुए कहा, 'हमने भारतीय मूल की एक युवा महिला यहूदी सैनिक को खो दिया, जो 7 अक्टूबर को हमलों के पहले दिन आतंकवादियों के साथ गोलीबारी में मर गई।'

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भारतीय मूल की दो महिला सुरक्षा अधिकारियों की मौत

आधिकारिक सूत्रों और समुदाय के लोगों ने रविवार को पुष्टि की, कि फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास द्वारा किए गए अभूतपूर्व हमले में भारतीय मूल की कम से कम दो इजरायली महिला सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई।

रुबिन ने कहा, 'इजराइल हमेशा भारत के साथ खड़ा है। यहां तक ​​कि जब निम्न-स्तरीय राजनयिक संबंध थे, तब भी इजराइल 1965, 1962, 1971 के युद्धों में और विशेष रूप से 1999 में कारगिल में भारत की सहायता के लिए आया था। उस समय इजराइल ने अल्प सूचना पर बहुत आवश्यक रक्षा आपूर्ति की थी। रुबिन ने आगे कहा, आज हम देख रहे हैं कि मजबूत समर्थन और इजरायल की स्थिति की समझ के साथ भारत के लोगों द्वारा इस समर्थन का कई गुना बदला चुकाया जा रहा है।'

उन्होंने कहा, 'हम 'ऑपरेशन अजेय' शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर के बहुत आभारी हैं। जिसके माध्यम से भारतीय छात्रों और आईटी पेशेवरों को इजराइल से भारत वापस लाया गया। भारतीय मूल के 90,000 यहूदी हैं। 30,000 भारतीय नागरिक हैं जो अधिकतर देखभालकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं।'

यहूदी नेता ने कहा, 'हमने उनमें से किसी को अपनी नौकरी छोड़कर भारत वापस जाने के बारे में नहीं सुना है क्योंकि वे इजरायली समाज का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और बुजुर्गों और विकलांग लोगों की देखभाल करते हैं।'

उन्होंने कहा, 'यहां तक कि जो छात्र इजराइल में रुके हुए थे, उनके प्रोफेसर और उनके कॉलेज के साथी नियमित रूप से उनकी भलाई के बारे सोच रहे थे और हर संभव मदद कर रहे थे।'

रुबीन ने कहा, 'एक भारतीय अमेरिकी और एक यहूदी के रूप में हम पिछले आठ दिनों से बहुत परेशान हैं। लेकिन हमें अमेरिका-इजरायल-भारत साझेदारी से काफी उम्मीदें हैं। हम यह नहीं भूलेंगे कि G20 IMEC पर इन हमलों से ठीक पहले, भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। I2U2 की शुरुआत 2023 में हालिया आम सभा में की गई थी। हमें पूरा विश्वास है कि मध्य पूर्व भविष्य में शांति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ेगा।'

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'हमास को खत्म करना बहुत जरूरी'

उन्होंने कहा, 'एक बात तो पक्की है कि हमें निश्चित रूप से हमास से छुटकारा पाना होगा। हमें पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों, जैसे - जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा से छुटकारा पाने की जरूरत है।

रुबिन ने कहा कि इस परिदृश्य में सबसे महत्वपूर्ण कारक मध्य पूर्व से संबंधित मामलों के संबंध में अमेरिका और भारत का एक-दूसरे के साथ तालमेल होना है। इस तरह आईएमईसी पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे क्षेत्र और उससे आगे के लिए विस्तारित आर्थिक अवसरों की आशा जगी। सुरक्षा के माध्यम से शांति सुनिश्चित करने के मामले में भारत, अमेरिका और इजराइल मिलकर काम कर सकते हैं। सुरक्षा के बिना, कोई शांति नहीं होगी।

उन्होंने बताया कि दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कारक भारत और अमेरिका का मध्य पूर्व में साझा साझेदार होना है। हमें यह समझना होगा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद, भारत के सभी खाड़ी देशों, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, ओमान, सऊदी अरब के साथ सबसे करीबी संबंध हैं। इन करीबी सहयोगियों के साथ काम करने वाले दोनों देश संघर्ष के संबंध में एक स्थिर स्थिति लाएंगे।