सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर ईरान में अमेरिका ने भड़काई अराजकता!
ईरान में फैली अराजकता फिलहाल शांत हो गई है लेकिन साथ ही बड़ा सवाल यह भी उभरा है कि इसके पीछे आखिर किसका हाथ था।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। ईरान के रेवोलूशनरी गार्ड के प्रमुख ने देश में उत्पन्न अराजकता की स्थिति पर काबू पा लेने की घोषणा कर दी है। लेकिन इसको लेकर एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि इसके पीछे आखिर कौन था। ईरान और अमेरिका की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकार और सीरिया के वरिष्ठ पत्रकार वईल अवाद इसको अमेरिका की एक साजिश मानते हैं। आपको यहां पर बता दें कि नए साल की शुरूआत में हुए इन विरोध-प्रदर्शनों के बाद से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार ईरान की हालत को लेकर ट्वीट कर रहे हैं। दोनों ही नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी भी इस दौरान देखी गई है।
ईरान में फैली अराजकता के पीछे अमेरिका का हाथ
आपको यहां पर यह भी बता दें कि बुधवार को हजारों लोगों ने देश के इस्लामिक शासकों के लिए एकजुटता का प्रदर्शन किया था। इसके बाद ही विरोध प्रदर्शन के खत्म होने का ऐलान सरकार द्वारा कर दिया गया। इस बाबत दैनिक जागरण से बात करते हुए वईल अवाद ने सीधेतौर पर इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे अमेरिका का हाथ बताया है। उन्होंने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा है कि विरोध को भड़काने के लिए अमेरिका की तरफ से यू-ट्यूब समेत सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल किया। वह ये भी मानते हैं कि इसके पीछे सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि इजरायल का भी हाथ है। इसके अलावा सऊदी अरब भी एक भूमिका अदा कर रहा है।
ईरान में बढ़ी है बेरोजगारी और महंगाई
अवाद ने इस बातचीत के दौरान यह भी माना कि विरोध प्रदर्शन के पीछे एक सच यह भी है कि ईरान की माली हालत इस वक्त बहुत अच्छी नहीं है। उसपर लगे प्रतिबंध भी इसकी एक बड़ी वजह हैं। उन्होंने माना कि ईरान में बीते कुछ समय में बेरोजगारी के साथ-साथ महंगाई भी बढ़ी है। लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि सरकार ने इस बात से कभी भी इंकार नहीं किया है। लेकिन सरकार का कहना है कि विरोध शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर विरोध प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। सरकार और ईरान के रिवोल्यूश्नरी गार्ड इस बात को साफ कर चुके हैं कि यदि ऐसा होता है तो उससे सख्ती से निपटा जाएगा।
सरकार ने मैसेजिंग एप पर लगाया बैन
हालांकि अब सरकार ने इन विरोध-प्रदर्शनों पर काबू पा लिया गया है। इस पर काबू पाने के लिए सरकार ने देश में हाल में भड़के विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए मैसेजिंग एप टेलीग्राम को ब्लॉक तक कर दिया है। आपको बता दें कि यह ईरान का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला मैसेजिंग एप है। आंदोलन के दौरान इस एप का लोगों द्वारा व्यापक इस्तेमाल किया यगा था। इसके जरिये आंदोलनकारियों और उनके समर्थकों ने सूचनाओं का तेजी से आदान-प्रदान किया जिससे सरकार को आंदोलन से निपटने में कठिनाई हुई। जानकारी के मुताबिक सरकार ने आंदोलनकारियों के गढ़ बने कई शहरों की इंटरनेट कनेक्टिविटी भी खत्म कर दी है। ज्यादातर शहरों में सोशल मीडिया साइट फेसबुक और इंस्टाग्राम को पहले ही बाधित किया जा चुका है।
विरोध प्रदर्शन में 20 से ज्यादा की मौत
ईरान में बीते गुरुवार को शुरू हुए तीखे विरोध प्रदर्शनों में 20 से ज्यादा लोगों की मौत होने की खबर है। वहीं सरकार ने करीब 15 हजार प्रदर्शनकारियों को इस दौरान गिरफ्तार भी किया है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत उत्तर-पूर्वी शहर मश्शाद से हुई थी जो बाद में राजधानी तेहरान और देश के अन्य प्रमुख शहरों में फैल गए।
न्यूक्लियर डील से यूएस का पीछे हटना
ईरान पर बात करते हुए अवाद का कहना था कि अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद से ही चीजें काफी जटिल हो गई हैं और क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। ईरान और अमेरिका के बीच खराब होते रिश्तों की वजह ओबामा प्रशासन के दौरान हुई न्यूक्लियर डील से ट्रंप का पीछे हटना भी है। इस डील में अमेरिका समेत छह देश शामिल हैं। लेकिन अब ट्रंप इस डील से यह कहते हुए पीछे हट रहे हैं कि यह डील सही नहीं है।
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