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'चीन के साथ सब कुछ ठीक नहीं', US में जयशंकर ने ड्रैगन को खूब सुनाया; एक नसीहत भी दी

Jaishankar attack china भारत-चीन सीमा गतिरोध पर विदेश मंत्री जयशंकर ने एक बार फिर ड्रैगन को आड़े हाथ लिया है। विदेश मंत्री ने कहा कि चीन को अभी रिश्ते सुधारने के लिए कई पहलुओं पर कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि जब मैंने कहा कि 75 प्रतिशत विवाद सुलझ गया है तो यह केवल सैनिकों के पीछे हटने के बारे में था।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Wed, 25 Sep 2024 08:50 AM (IST)
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Jaishankar attack china जयशंकर की चीन को खरी-खरी।
एएनआई, न्यूयॉर्क। Jaishankar attack china विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन को खरी-खरी सुनाई है। अमेरिका में एक कार्यक्रम में बोलते हुए जयशंकर ने चीन के साथ भारत के 'कठिन इतिहास' को स्वीकार करते हुए कहा कि जब मैंने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का 75 प्रतिशत हल होने की बात कही, तो वह केवल 'सैनिकों के पीछे हटने' वाले हिस्से के बारे में थी। विदेश मंत्री ने कहा कि अभी दूसरे पहलुओं में चुनौती बनी हुई है।

कोरोना में चीन की चालाकी से बिगड़े रिश्ते

एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में एशिया सोसाइटी को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्री ने इस बात को भी रेखांकित किया कि कैसे चीन ने कोविड महामारी के दौरान सीमा पर सेना की तैनाती बढ़ाकर पिछले समझौतों का उल्लंघन किया, जिसके परिणामस्वरूप सैनिकों में झड़पें हुईं और दोनों पक्षों को नुकसान हुआ।

जयशंकर के कहा कि इस घटना से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचा है। 

चीन के साथ हमारा इतिहास मुश्किलों भरा

जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ हमारा इतिहास मुश्किलों भरा रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ हमारे स्पष्ट समझौतों के बावजूद, हमने कोविड के बीच में देखा कि चीन ने इन समझौतों का उल्लंघन करते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में सेना तैनात की। यह संभव था कि कोई दुर्घटना हो और ऐसा हुआ भी। इसलिए, झड़प हुई और दोनों तरफ से कई सैनिक मारे गए।  

ड्रैगन को दी ये सलाह

जयशंकर ने स्वीकार किया कि टकराव वाले बिंदुओं के अधिकांश हिस्सों को हल कर लिया है, लेकिन अभी तक चुनौतियां बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से सीमा पर गश्त के अधिकारों के संबंध में अभी संघर्ष बना हुआ है। 

जयशंकर ने आगे सलाह देते हुए कहा कि अगर चीन के साथ संबंधों को सुधारना है तो दोनों देशों को 'डी-एस्केलेशन' के महत्व को समझना होगा।