इंसानों के साथ चांद पर जाएंगे रोबोट, चलने में करेंगें मदद; पढ़ें क्या है नासा का पूरा मिशन
नासा फिर से इंसानों को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है। गौरतलब है कि 1972 में आखिरी बार मनुष्य ने चांद पर यात्रा की थी। हालांकि इस बार मिशन काफी अलग होगा और इंसान लंबे समय तक वहां पर रहेंगें। ऐसे में इंसानों की मदद के लिए खास रोबोट भी साथ जाएगा। पढ़ें क्या है इन रोबोट्स की खासियत और क्या है नासा का पूरा प्लान।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंसानों ने चांद पर कई अंतरिक्ष यान भेजे हैं और सफलतापूर्वक मिशन पूरे किए हैं, लेकिन खुद इंसानों के चंद्रमा पर जाने में सीमित सफलता ही हाथ लगी है। 1972 में नासा का अपोलो मिशन समाप्त होने के बाद से किसी भी मनुष्य ने चांद की यात्रा नहीं की है। हालांकि, यह जल्द ही बदलने वाला है, क्योंकि इस बार नासा पूरी तैयारी के साथ मनुष्यों को भेजने की तैयारी कर रहा है।
इस बार इंसानों को लंबे समय तक चांद पर रखने की तैयारी चल रही है। साथ ही वह ये भी तलाशेंगें कि क्या यहां पर इंसानों की बस्ती बसाई जा सकती है या नहीं। इसके लिए नासा खास आर्टेमिस कार्यक्रम चला रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट के तहत 2026 तक चांद पर पहला दल उतारने की तैयारी है।
(NASA Logo File Image)
1972 से चांद पर नहीं गया है इंसान
नासा के अपोलो कार्यक्रम के 1972 में समाप्त होने के बाद से मनुष्य ने चंद्रमा की यात्रा नहीं की है, लेकिन आर्टेमिस कार्यक्रम जल्द ही मनुष्यों को चंद्र सतह पर वापस लाएगा, जिसमें पहला चालक दल लैंडिंग वर्तमान में 2026 के लिए निर्धारित है। हालांकि, चाद पर रहना इंसानों के लिए आसान नहीं होगा, खासकर उसके कम गुरुत्वाकर्षण की वजह से।ऐसे में नासा के इस लक्ष्य को प्राप्त करने में और चांद पर अंतरिक्षयात्रियों के रहने में मदद कर रहे हैं दुनियाभर के शोधकर्ता, जो ऐसी तकनीकों का अविष्कार करने में जुटे हैं, जो इंसानों के काम आ सके। ऐसा ही एक नायाब समाधान निकाला है मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के शोधकर्ताओं ने, जिनके आविष्कार से अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की सतह पर गिरने से उबरने में मदद मिलेगी।