बृहस्पति पर मौजूद 'ग्रेट रेड स्पॉट’ के अंदर है पानी, घने बादलों से है घिरा
दूसरे ग्रहों पर जीवन के संकेत तलाशने में दुनिया भर के वैज्ञानिक प्रयासरत हैं। हाल ही में चांद पर पानी और बर्फ की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 31 Aug 2018 03:02 PM (IST)
वाशिंगटन। दूसरे ग्रहों पर जीवन के संकेत तलाशने में दुनिया भर के वैज्ञानिक प्रयासरत हैं। हाल ही में चांद पर पानी और बर्फ की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। वहीं, मंगल ग्रह पर भी पानी होने के संकेत मिल चुके हैं। इसी कड़ी में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। उन्हें बृहस्पति पर पानी होने के संकेत मिले हैं।1वैज्ञानिकों ने बृहस्पति के ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ के अंदरूनी हिस्से का अध्ययन किया। इसके आधार पर उनका कहना है कि यहां पानी हो सकता है। दरअसल, बीते 350 साल से अधिक समय से इस ग्रह पर एक भयंकर तूफान आया हुआ है। इस तूफान को वैज्ञानिकों ने ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ नाम दिया गया है। अब इसी के भीतर पानी होने की उम्मीद जगी है।
इस तरह से लगाया पता
एस्ट्रोनॉमिक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने थ्योरी और कंप्यूटर से तैयार मॉडल के आधार पर इस ग्रह पर पानी होने का दावा किया है। ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ पूरी तरह से घने बादलों से भरा हुआ है, जिससे विद्युत चुंबकीय ऊर्जा का निकल पाना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से इसके रसायनिक प्रक्रियाओं के बारे में अंतरिक्षयात्रियों को ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती है। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में एक खगोलशास्त्री गॉर्डन एल बोजोरकर के मुताबिक, इन घने बादलों के कारण इस तूफान के भीतर नहीं देखा जा सकता है। यही वजह है कि इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने में दिक्कत आती है। सूरज से ज्यादा मौजूद है ऑक्सीजन
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस पानी में ऑक्सीजन सहित कार्बन मोनोऑक्साइड गैस भी है। इससे यह पता चलता है कि बृहस्पति पर सूरज की तुलना में दो से नौगुना ज्यादा ऑक्सीजन है।
एस्ट्रोनॉमिक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने थ्योरी और कंप्यूटर से तैयार मॉडल के आधार पर इस ग्रह पर पानी होने का दावा किया है। ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ पूरी तरह से घने बादलों से भरा हुआ है, जिससे विद्युत चुंबकीय ऊर्जा का निकल पाना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से इसके रसायनिक प्रक्रियाओं के बारे में अंतरिक्षयात्रियों को ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती है। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में एक खगोलशास्त्री गॉर्डन एल बोजोरकर के मुताबिक, इन घने बादलों के कारण इस तूफान के भीतर नहीं देखा जा सकता है। यही वजह है कि इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने में दिक्कत आती है। सूरज से ज्यादा मौजूद है ऑक्सीजन
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस पानी में ऑक्सीजन सहित कार्बन मोनोऑक्साइड गैस भी है। इससे यह पता चलता है कि बृहस्पति पर सूरज की तुलना में दो से नौगुना ज्यादा ऑक्सीजन है।
इस स्पेसक्राफ्ट ने की मदद
शोधकर्ताओं के मुताबिक, नासा के स्पेसक्राफ्ट जूनो ने इससे संबंधित डाटा को एकत्र किया। जूनो नासा का ऐसा स्पेसक्राफ्ट है जो ग्रहों पर पानी ढूंढ़ने का काम करता है। ग्रहों पर पानी गैस की स्थिति में होने पर भी इसके जरिये उसका पता लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने जूनो से प्राप्त डाटा का विश्लेषण किया, जिसके आधार पर बृहस्पति पर पानी होने की संभावना जताई है। इसलिए बड़ी उम्मीद
गॉर्डन कहते हैं, बृहस्पति के चारों ओर चक्कर लगाने वाले उसके चंद्रमाओं में भरपूर बर्फ है। यानी के चारों और काफी पानी है। बृहस्पति का वह हिस्सा जिसे गुरुत्वाकर्षण का कुंड (ग्रेट रेड स्पॉट) कहा जाता है, उसमें हर चीज खिंची चली आती है। उसमें पानी क्यों नहीं हो सकता। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अभी इस विषय में और अध्ययन किया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही इस ग्रह पर पानी की पुष्टि हो जाए।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, नासा के स्पेसक्राफ्ट जूनो ने इससे संबंधित डाटा को एकत्र किया। जूनो नासा का ऐसा स्पेसक्राफ्ट है जो ग्रहों पर पानी ढूंढ़ने का काम करता है। ग्रहों पर पानी गैस की स्थिति में होने पर भी इसके जरिये उसका पता लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने जूनो से प्राप्त डाटा का विश्लेषण किया, जिसके आधार पर बृहस्पति पर पानी होने की संभावना जताई है। इसलिए बड़ी उम्मीद
गॉर्डन कहते हैं, बृहस्पति के चारों ओर चक्कर लगाने वाले उसके चंद्रमाओं में भरपूर बर्फ है। यानी के चारों और काफी पानी है। बृहस्पति का वह हिस्सा जिसे गुरुत्वाकर्षण का कुंड (ग्रेट रेड स्पॉट) कहा जाता है, उसमें हर चीज खिंची चली आती है। उसमें पानी क्यों नहीं हो सकता। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अभी इस विषय में और अध्ययन किया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही इस ग्रह पर पानी की पुष्टि हो जाए।
सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह
बृहस्पति सूर्य से पांचवांं और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों के अलावा अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है। अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियां नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न-भिन्न वातावरण के परिणामस्वरूप बनी हैं। वो लाल धब्बा
इस पर मौजूद लाल धब्बे के निशान को 17वीं सदी के बाद ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम 79 चन्द्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् 1910 में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है।
बृहस्पति सूर्य से पांचवांं और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों के अलावा अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है। अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियां नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न-भिन्न वातावरण के परिणामस्वरूप बनी हैं। वो लाल धब्बा
इस पर मौजूद लाल धब्बे के निशान को 17वीं सदी के बाद ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम 79 चन्द्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् 1910 में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है।