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बृहस्‍पति‍ के चंद्रमा 'यूरोपा' पर जीवन की खोज करेगा NASA, अक्‍टूबर में उड़ान भरेगा क्लिपर स्‍पेसक्राफ्ट

अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने गुरुवार को ह्यूमेनिटीज हंट फॉर एक्‍सट्रा टेरेस्ट्रियल लाइफ म‍िशन के तहत अंतरग्रहीय अनुसंधान का अनावरण किया। नासा इसे बृहस्पति के बर्फीले चंद्रमाओं में से एक यूरोपा पर भेजने की योजना बना रहा है। क्लिपर अंतरिक्ष यान अक्टूबर में यूरोपा के लिए उड़ान भरने वाला है जो सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह की परिक्रमा करने वाले दर्जनों चंद्रमाओं में से एक है।

By Agency Edited By: Prateek Jain Updated: Fri, 12 Apr 2024 09:27 AM (IST)
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क्लिपर अंतरिक्ष यान अक्टूबर में यूरोपा के लिए उड़ान भरने वाला है। फोटो- नासा
एएफपी, पासाडेना। अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने गुरुवार को ह्यूमेनिटीज हंट फॉर एक्‍सट्रा टेरेस्ट्रियल लाइफ म‍िशन के तहत अंतरग्रहीय अनुसंधान का अनावरण किया। नासा इसे बृहस्पति के बर्फीले चंद्रमाओं में से एक यूरोपा पर भेजने की योजना बना रहा है।

क्लिपर अंतरिक्ष यान अक्टूबर में यूरोपा के लिए उड़ान भरने वाला है, जो सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह की परिक्रमा करने वाले दर्जनों चंद्रमाओं में से एक है। यह हमारे आकाश में निकटतम जगह है जो जीवन के लिए एक स्थान दे सकता है।

मिशन के परियोजना वैज्ञानिक बॉब पप्पालार्डो ने एएफपी को बताया,

नासा जिन मूलभूत प्रश्नों को समझना चाहता है उनमें से एक यह है कि क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं?

अगर हमें जीवन के लिए परिस्थितियां ढूंढनी हों और फिर किसी दिन वास्तव में यूरोपा जैसी जगह पर जीवन मिल जाए, तो यह कहा जाएगा कि हमारे अपने सौर मंडल में जीवन के दो उदाहरण हैं: पृथ्वी और यूरोपा।

यह समझने के लिए बहुत बड़ी बात होगी कि पूरे ब्रह्मांड में जीवन कितना सामान्य हो सकता है।

वर्तमान में  5 बिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्‍ट की नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला कैलिफोर्निया में है, जो एक "साफ कमरे" में है - एक सीलबंद क्षेत्र जहां पर प्रोजेक्‍ट में शामिल लोगों को केवल सिर से पैर तक ढंकने के बाद ही अंदर जाने की अनुमित है।

ये सावधानियां यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि जांच संदूषकों से मुक्त रहे, ताकि पृथ्‍वी के माइक्रोब्‍स को यूरोपा में ले जाने से बचा जा सके।

क्लिपर स्पेस एक्स फाल्कन फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में पहुंच चुका है। यह हेवी रॉकेट पर सवार होकर पांच साल से अधिक की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार है। यह गति बढ़ाने के लिए मंगल ग्रह से गुजरेगा।

क्लिपर को 2031 में बृहस्पति और यूरोपा की कक्षा में होना चाहिए, जहां यह उसका का विस्तृत अध्ययन शुरू करेगा, वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह जमे हुए पानी से ढका हुआ है।

पप्पालार्डो ने कहा,

हमारे पास कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, एक मैग्नेटोमीटर और एक रडार जैसे उपकरण हैं, जो...बर्फ में सीधे प्रवेश कर सकते हैं। तरल पानी से उछल सकते हैं और सतह पर वापस आकर हमें बता सकते हैं कि बर्फ कितनी मोटी है और तरल पानी कहां पर है।

मिशन प्रबंधकों को यह उम्मीद नहीं है कि उन्हें पानी में तैरते छोटे हरे आदमी मिलेंगे। वास्तव में वे खुद जीवन की तलाश भी नहीं कर रहे हैं, केवल उन स्थितियों की तलाश कर रहे हैं, जो इसका समर्थन कर सकें।

वैज्ञानिकों को पृथ्वी के चरम वातावरण से पता है - जैसे पोलर आइस कैप में प्रकाश की कमी वाले भू-तापीय वेंट में कहीं भी सूक्ष्‍म जीवन ढूंढा जा सकता है।

और यूरोपा की स्थितियां, जो पृथ्वी के चंद्रमा की तरह लगभग बड़ी हैं, एक समान आवास प्रदान कर सकती हैं, जो कि आकर्षक संभावना की पेशकश कर सकती है कि हम अकेले नहीं हैं - हमारी अपनी सौर प्रणाली में भी नहीं।

यूरोपा क्लिपर मिशन के प्रोजेक्ट मैनेजर जॉर्डन इवांस ने कहा, 

अगर तारों से दूर ग्रहों के चारों ओर चंद्रमा पर जीवन हो सकता है तो सौर मंडल के चारों ओर, ब्रह्मांड के चारों ओर, जहां जीवन हो सकता है, अवसरों की संख्या नाटकीय रूप से बढ़ जाएगी।