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NATO Membership Bid: स्वीडन और फ‍िनलैंड के नाटो में शामिल होने की राह में तुर्की बना रोड़ा, जानें क्‍या कहा

स्वीडन और फ‍िनलैंड के नाटो में शामिल होने की राह में तुर्की एक बड़ा बैरियर साबित हो रहा है। तुर्की ने साफ कहा है कि जब तक उसकी सुरक्षा चिंताओं का समाधान नहीं हो जाता तब तक उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आने वाला है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 27 May 2022 06:33 PM (IST)
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स्वीडन और फ‍िनलैंड के नाटो में शामिल होने के मसले पर तुर्की का पुराना रुख कायम है। (File Photo)
इस्तांबुल, एजेंसियां। फ‍िनलैंड (Finland) और स्‍वीडन (Sweden) के नाटो में शामिल होने की राह में तुर्की सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की के विदेश मंत्री (Foreign Minister of Turkey) मेवलुत कावुसोग्लू का कहना है कि नाटो सदस्यता के लिए अंकारा की आपत्तियों और सुरक्षा चिंताओं को दूर करना जरूरी है। इसके लिए फ‍िनलैंड (Finland) और स्‍वीडन (Sweden) को 'ठोस कदम' उठाने की दरकार है।

विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू (Turkey's Foreign Minister Mevlut Cavusoglu) ने शुक्रवार को कहा कि फ‍िनलैंड और स्‍वीडन के प्रतिनिधिमंडल स्वदेश लौट आए हैं। तुर्की उनके जवाब का इंतजार कर रहा है। मालूम हो कि फ‍िनलैंड (Finland) और स्‍वीडन (Sweden) को नाटो में शामिल किए जाने के लिए सभी सदस्‍य देशों के समर्थन की दरकार है लेकिन तुर्की इसका विरोध कर रहा है। तुर्की ने इस विरोध के पीछे कुर्द आतंकियों के समर्थन का हवाला दिया है।

तुर्की का आरोप है कि फिनलैंड और स्वीडन पीकेके आतंकवादियों और गुलेन आंदोलन के समर्थकों की मदद करते हैं। इन संगठनों पर साल 2016 में एर्दोगन के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश करने का आरोप है। तुर्की का कहना है कि इस मसले पर फ‍िनलैंड (Finland) और स्‍वीडन (Sweden) दोनों देशों को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। तुर्की का विरोध ऐसे वक्‍त में सामने आया है जब अमेरिका खुलकर फिनलैंड और स्वीडन के साथ खड़ा नजर आ रहा है।

वहीं समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की के अधिकारियों और स्वीडन एवं फि‍नलैंड के प्रतिनिधिमंडलों के बीच तुर्की में इस हफ्ते हुई वार्ता का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। इस मसले पर बहुत कम प्रगति हुई है। सूत्रों की मानें तो अभी तक स्पष्ट नहीं है कि आगे की चर्चा कब होगी। तुर्की के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह आसान प्रक्रिया नहीं है। फ‍िनलैंड (Finland) और स्‍वीडन (Sweden) को ठोस कदम उठाने होंगे जो कठिन है।